बिहार विधानसभा चुनाव, 2025, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Barbigha Assembly Constituency: बरबीघा विधानसभा क्षेत्र बिहार के शेखपुरा जिले का एक प्रमुख राजनीतिक केंद्र है। यह सीट नवादा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और बरबीघा, शेखोपुरसराय प्रखंडों के साथ-साथ शेखपुरा प्रखंड की 10 ग्राम पंचायतों को समेटे हुए है। यह फाल्गु नदी के किनारे बसा एक समतल भूभाग है, जो कृषि के लिए बहुत उपयुक्त है और शेखपुरा जिले का सबसे बड़ा वाणिज्यिक केंद्र भी है। यह क्षेत्र बिहार के पहले मुख्यमंत्री कृष्ण सिंह की जन्मभूमि होने का गौरव रखता है। साथ ही, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का भी इस क्षेत्र से जुड़ाव रहा है, जिन्होंने यहां एक स्थानीय विद्यालय में प्रधानाचार्य के रूप में कार्य किया था।
बरबीघा का सिर्फ राजनीतिक ही नहीं, बल्कि धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व भी गहरा है। यहां के कई धार्मिक व ऐतिहासिक स्थल देखने लायक हैं। जिसमें प्रमुख रूप से विष्णु धाम मंदिर उल्लेखनीय है। बरबीघा-नवादा रोड से लगभग 5 किलोमीटर दूर सामस गांव में स्थित विष्णु धाम मंदिर आस्था का एक बड़ा केंद्र है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की लगभग 7.5 फीट ऊंची और 3.5 फीट चौड़ी एक विशाल मूर्ति स्थापित है, जिसे 9वीं सदी का बताया जाता है। इस प्रतिहार कालीन मूर्ति पर मूर्तिकार ‘सितदेव’ का नाम भी अंकित है। यह मूर्ति जुलाई 1992 में तालाब की खुदाई के दौरान मिली थी।
स्कॉटिश भूगोलवेत्ता फ्रांसिस बुकानन-हैमिल्टन ने 1812 में ही अपनी रिपोर्ट में ‘बारबीघा’ का सबसे पहले उल्लेख किया था। यहां 1894 में डाकघर और 1901 में थाना स्थापित हुआ। 1919-20 में यहां दिल्ली सल्तनत काल के 96 प्राचीन सिक्के भी मिले थे।
इस बार बरबीघा विधानसभा चुनाव में कुल नौ उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। मुख्य रूप से मुकाबला जदयू और कांग्रेस के बीच है, लेकिन जनसुराज पार्टी भी चुनौती पेश कर रही है-
बरबीघा विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास बताता है कि यह लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रहा है। कांग्रेस के वर्चस्व को लोगों ने 1951 से देखा है। विधानसभा क्षेत्र बनने के बाद 17 बार हुए चुनावों में कांग्रेस ने रिकॉर्ड 11 बार जीत हासिल की है। वहीं अन्य दलों की बात की जाए तो यहां पर जदयू ने तीन बार, निर्दलीय उम्मीदवारों ने दो बार और जनता पार्टी ने एक बार इस सीट पर कब्जा जमाया है। 2005 में जदयू के रामसुंदर कनौजिया ने पहली बार इस सीट पर जीत दर्ज की और 2010 में भी जदयू ने इसे बरकरार रखा। 2015 में कांग्रेस के सुदर्शन कुमार विधायक बने।
2020 के पिछले चुनाव ने यहाँ के राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव ला दिया। 2015 में कांग्रेस के टिकट पर जीते सुदर्शन कुमार ने 2020 में जदयू का दामन थाम लिया और जदयू के उम्मीदवार बने। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार को महज 113 वोटों के बेहद करीबी अंतर से हराकर विधायक बने। यह जीत बताती है कि कांग्रेस का पारंपरिक गढ़ अब जदयू के लिए भी प्रतिष्ठा की सीट बन चुका है।
बरबीघा सीट पर जातीय समीकरण चुनावी नतीजों में अहम भूमिका निभाते हैं। यहाँ पर निर्णायक मतदाताओं के रुप में भूमिहार मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है और उन्हें ही इस सीट पर निर्णायक माना जाता है। जबकि अन्य महत्वपूर्ण समुदायों में कुर्मी, पासवान और यादव समुदायों की भी उल्लेखनीय संख्या है, जो चुनावी समीकरण में अहम भूमिका निभाते हैं।
ये भी पढ़ें: जगदीशपुर विधानसभा: जीत की हैट्रिक लगा चुकी है RJD, क्या इस बार उलटफेर करेंगे श्रीभगवान सिंह कुशवाहा
अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या जदयू अपने 2020 के जीत के क्रम को दोहरा पाती है, या कांग्रेस एक बार फिर से अपने पारंपरिक गढ़ को वापस हासिल करने में सफल होती है। भूमिहार वोटों का बिखराव और अन्य समुदायों का समर्थन इस बार बरबीघा का फैसला करेगा।