लोक आदालत अब कब लगेगी। (सौ. Freepik)
नई दिल्ली: भारत में जहां सामान्य अदालतों में एक केस को सुलझने में सालों लग जाते हैं, वहीं एक ऐसी अदालत भी है जहां बिना वकील, बिना लंबी प्रक्रिया और बिना ज्यादा खर्च के फैसले लिए जाते हैं। यह अदालत है लोक अदालत, जिसे आम लोग ‘खुशियों की अदालत’ भी कहते हैं। यहां पर समाधान जल्दी, सुलभ और सौहार्दपूर्ण ढंग से होता है।
लोक अदालत में ऐसे केस सुने जाते हैं जो आपसी सहमति से निपटाए जा सकते हैं। इनमें शामिल हैं:
यहां जुर्माना या तो माफ कर दिया जाता है या उसमें बड़ी छूट दी जाती है।
2025 की अब तक की दो लोक अदालतों—8 मार्च और 10 मई—में लाखों लोगों को राहत मिली। पुराने ट्रैफिक चालानों में 50% तक की छूट दी गई और कई मामलों में पूरी माफी भी। लोगों ने इसे एक ऐसा मंच माना जहां न्याय के साथ सुकून भी मिलता है। “यहां कोई बहस नहीं होती, सिर्फ समाधान होता है।” – लोक अदालत में केस सुलझाने आए एक व्यक्ति ने कहा।
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जो लोग पिछली दो लोक अदालतें मिस कर चुके हैं, उनके लिए अगली तारीखें हैं: