Gensol में क्यो नहीं बनी गाड़ी। (सौ. X)
नवभारत ऑटोमोबाइल डेस्क: भारतीय बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने अपनी अंतरिम जांच में चौंकाने वाला खुलासा किया है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के एक अधिकारी द्वारा पुणे के चाकन स्थित जेनसोल इंजीनियरिंग के इलेक्ट्रिक वाहन (EV) प्लांट के निरीक्षण के दौरान वहां कोई भी मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि नहीं पाई गई। प्लांट में केवल दो से तीन मजदूर मौजूद थे।
यह खुलासा जून 2024 में प्राप्त एक शिकायत की जांच के बाद 15 अप्रैल 2025 को सेबी द्वारा जारी किए गए अंतरिम आदेश का हिस्सा है। शिकायत में जेनसोल के शेयर मूल्य में हेराफेरी और कंपनी फंड्स के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था।
सेबी ने अपनी जांच में पाया कि जेनसोल ने भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो 2025 के दौरान अपनी नई ईवी कार की 30,000 यूनिट्स के ऑर्डर मिलने का दावा किया था, जो कि झूठा निकला।
दरअसल, कंपनी ने जिन 29,000 वाहनों के लिए 9 संस्थाओं के साथ MOU (सहमति ज्ञापन) किए थे, वे सिर्फ एक इच्छा की अभिव्यक्ति थे। इनमें न तो वाहन की कीमत का उल्लेख था और न ही डिलिवरी की कोई पुष्टि।
सेबी ने अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी, जो जेनसोल के प्रमोटर हैं, को न केवल पूंजी बाजार में भागीदारी से प्रतिबंधित किया है, बल्कि उन्हें कंपनी में किसी भी महत्वपूर्ण पद पर कार्य करने से भी रोक दिया गया है।
भारतपे के पूर्व सह-संस्थापक अशनीर ग्रोवर ने जेनसोल घोटाले में नाम आने पर सफाई दी। उन्होंने कहा – “मैं इस मामले में खुद पीड़ित हूं। अनमोल सिंह जग्गी ने मेरे स्टार्टअप थर्ड यूनिकॉर्न में ₹50 लाख का निवेश किया था। लेकिन मैं हर निवेशक की पृष्ठभूमि की जिम्मेदारी नहीं ले सकता।”
जेनसोल इंजीनियरिंग सौर ऊर्जा परामर्श, EPC सेवाओं और इलेक्ट्रिक वाहनों को पट्टे पर देने के कारोबार में सक्रिय है। जुलाई 2023 में कंपनी को बीएसई और एनएसई के मुख्य बोर्ड में लिस्ट किया गया था। वर्ष 2016-17 में जहां कंपनी का लाभ ₹2 करोड़ था, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर ₹209 करोड़ तक पहुंच गया।
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NSE की रिपोर्ट के अनुसार, प्लांट में बिजली की खपत बहुत कम थी, जिससे यह साफ हुआ कि वहां वास्तव में कोई उत्पादन गतिविधि नहीं चल रही थी।