Tariff War : जीटीआरआई ने कही बड़ी बात, बोले- ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी का भारत पर होगा न्यूनतम असर
रिसर्च इंस्टीट्यूट ने कहा कि यात्री कारों के मामले में भारत ने साल 2024 में अमेरिका को मामूली 83 लाख अमरीकी डॉलर मूल्य के वाहन एक्सपोर्ट किए। यह देश के टोटल एक्सपोर्ट 6.98 अरब अमेरिकी डॉलर का केवल 0.13 प्रतिशत है।
नई दिल्ली : अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूरी दुनिया में टैरिफ वॉर छेड़ दी है। अमेरिका के कंप्लीट व्हीकल्स और कंपोनेंट्स पर अप्रैल से 25 प्रतिशत इंपोर्ट ड्यूटी लगाने से भारत के ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर इसका असर सीमित रहेगा और ये घरेलू एक्सपोर्टर्स के लिए एक नया अवसर भी प्रस्तुत कर सकता है। इकोनॉमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव यानी जीटीआरआई ने गुरूवार को ये बात कही है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्णतः निर्मित वाहनों यानी सीबीयू और व्हीकल कंपोनेंट्स पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की 26 मार्च को घोषणा की, जो 2 अप्रैल से लागू होगा। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा है कि कैलेंडर ईयर 2024 में भारत के व्हीकल और व्हीकल कंपोनेंट्स के एक्सपोर्ट पर गौर करने से पता चलता है कि इंडियन एक्सपोर्टर्स पर इन टैरिफ का काफी कम असर होगा।
रिसर्च इंस्टीट्यूट ने कहा कि यात्री कारों के मामले में भारत ने साल 2024 में अमेरिका को मामूली 83 लाख अमरीकी डॉलर मूल्य के वाहन एक्सपोर्ट किए। यह देश के टोटल एक्सपोर्ट 6.98 अरब अमेरिकी डॉलर का केवल 0.13 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि इस नगण्य रिस्क का मतलब है कि शुल्क का भारत के फलते-फूलते कार एक्सपोर्ट बिजनेस पर कोई वास्तविक प्रभाव नहीं पड़ेगा और अन्य कैटेगरीज में भी अमेरिकी रिस्क या तो कम है या इससे निपटा जा सकता है।
अमेरिका को ट्रक एक्सपोर्ट सिर्फ 1.25 करोड़ अमेरिकी डॉलर रहा, जो भारत के ग्लोबल ट्रक एक्सपोर्ट का 0.89 प्रतिशत है। ये आंकड़े लिमिटेड रिस्क की पुष्टि करते हैं। हालांकि, जीटीआरआई ने कहा गया कि इंजन लगे कार ‘चेसिस’ पर कुछ असर पड़ने की उम्मीद है। इसमें भारत के 24.69 करोड़ अमेरिकी डॉलर के ग्लोबल एक्सपोर्ट में अमेरिका की हिस्सेदारी 2.82 करोड़ डॉलर यानी 11.4 प्रतिशत थी।
श्रीवास्तव ने कहा है कि जिस सेक्टर पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है, वह है स्पेयर पार्ट्स और कंपोनेंट भारत ने 2024 में अमेरिका को 2.2 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के व्हीकल कंपोनेंट एक्सपोर्ट किए, जो उसके ग्लोबल एक्सपोर्ट का 29.1 प्रतिशत है। हालांकि यह पहली नजर में चिंताजनक लगता है, लेकिन पास से देखने पर यह पता चलता है कि दोनों देशों के बीच समान अवसर हैं।
अमेरिका ने पिछले साल ग्लोबल लेवल पर 89 अरब डॉलर मूल्य के वाहन घटकों का आयात किया, जिसमें मैक्सिको की हिस्सेदारी 36 अरब डॉलर, चीन की 10.1 अरब डॉलर तथा भारत की मात्र 2.2 अरब डॉलर थी। चूंकि 25 प्रतिशत टैरिफ सभी पर लागू होता है, इसलिए सभी एक्सपोर्टर्स देशों को एक ही तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस संदर्भ में उन्होंने कह कि भारत के ऑटो स्पेयर पार्ट्स और कंपोनेंट इंडस्ट्री को भी एक अवसर मिल सकता है।
उन्होंने कहा है कि श्रम-प्रधान मैन्युफैक्चरिंग में अपने प्रतिस्पर्धात्मक लाभ और भारत की प्रतिस्पर्धी आयात शुल्क संरचनाओं यानी शून्य से 7.5 प्रतिशत तक के साथ, भारत समय के साथ अमेरिका में अपनी मार्केट शेयर बढ़ा सकता है। श्रीवास्तव ने कहा कि भारत सरकार को जवाबी कार्रवाई करने के बजाय, टैरिफ कदम को दीर्घकालिक दृष्टि से एक तटस्थ या मामूली ही सही पर लाभप्रद घटना के रूप में देखना चाहिए।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
Gtri statement on trumps tariff policy regarding indian autombile sector