Auto Sector में होगा बड़ा बदलाव। (सौ. AI)
GST rate cut: भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर में हाल के वर्षों की सबसे अहम कर सुधार पहल सामने आई है। GST काउंसिल की दरों का पुनर्गठन उद्योग के लिए एक बड़ा स्ट्रक्चरल रीसेट माना जा रहा है। वाहन और ऑटो पार्ट्स दोनों पर लागू इस बदलाव से न केवल उपभोक्ताओं को किफायती दामों का फायदा मिलेगा, बल्कि निर्माताओं को उत्पादन क्षमता का बेहतर इस्तेमाल करने का मौका भी मिलेगा।
देश में टू-व्हीलर की बिक्री 2019 में चरम पर थी, लेकिन कोविड-19 के असर, बढ़ती महंगाई और स्वामित्व लागत ने इसे नीचे खींच दिया। अब 350cc से नीचे की बाइक पर GST दर 28% से घटाकर 18% कर दी गई है। यह सेगमेंट उद्योग के 90% वॉल्यूम्स का प्रतिनिधित्व करता है, जिससे ऑन-रोड कीमतें घटेंगी और ग्राहकों की जेब पर बोझ कम होगा। ग्रामीण मांग और त्योहारी ऑफर्स के साथ, बिक्री में तेजी की उम्मीद है। हालांकि, 350cc से ऊपर के मॉडलों पर GST बढ़ने से प्रीमियम बाइक्स की मांग पर असर पड़ सकता है।
पिछले कुछ सालों में पैसेंजर व्हीकल सेक्टर को सप्लाई चेन दिक्कतों, नियामकीय बदलाव और बढ़ी हुई कीमतों ने प्रभावित किया। इस दौरान उपभोक्ताओं की रुचि यूटिलिटी व्हीकल्स (UVs) की ओर शिफ्ट हो गई। अब कुल उत्पादन का 65% हिस्सा UVs का है, जबकि एंट्री-लेवल कारों की मांग कमजोर रही। छोटी कारों, माइक्रो-एसयूवी और कॉम्पैक्ट-एसयूवी पर जीएसटी कटौती से एंट्री और मिड-सेगमेंट में नई जान आने की उम्मीद है। त्योहारी सीजन में यह डीलरों को इन्वेंट्री घटाने में मदद करेगा।
कमर्शियल व्हीकल्स (CVs) पर GST घटने से ट्रक और बस ऑपरेटरों को बड़ी राहत मिलेगी। इससे न केवल वाहनों की खरीद सस्ती होगी, बल्कि टायर और ऑटो पार्ट्स पर घटा टैक्स संचालन लागत को भी कम करेगा। साथ ही, कृषि और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में आर्थिक गतिविधि बढ़ने से एलसीवी और एमएचसीवी की मांग में उछाल आने की संभावना है। बस ऑपरेटर भी कम लागत को देखते हुए फ्लीट मॉडर्नाइजेशन पर जोर देंगे।
भारत में ईवी मार्केट मुख्यतः टू-व्हीलर, थ्री-व्हीलर और बसों पर केंद्रित है। अभी तक इन वाहनों को 5% जीएसटी का फायदा मिलता रहा है। हालांकि, इंटरनल कंबशन इंजन वाहनों पर कर कटौती के बाद ईवी और पेट्रोल-डीजल वाहनों की कीमत का अंतर कुछ कम हो सकता है। अब उपभोक्ता को किफायत और स्थायित्व के बीच चुनाव करना होगा।
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स्पेयर पार्ट्स और टायर उद्योग में रिप्लेसमेंट मार्केट की बड़ी हिस्सेदारी है। जीएसटी कटौती से अधिकृत और अनधिकृत स्पेयर्स के बीच दाम का अंतर घटेगा, जिससे संगठित खिलाड़ियों की स्थिति मजबूत होगी। निर्यात बाजार की चुनौतियों के बीच यह कदम घरेलू उद्योग के लिए एक सहारा साबित होगा।
कुल मिलाकर, जीएसटी दरों में यह बदलाव ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए लंबी अवधि का पॉजिटिव है। इससे न केवल उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, बल्कि ग्रामीण मोबिलिटी, रोजगार और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को भी नई रफ्तार मिलेगी।