CNG car के लिए क्या कर रही है सरकार। (सौ. Freepik)
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लंबे समय से फ्लेक्सी फ्यूल इंजन वाली गाड़ियों को भारत में बढ़ावा देने की बात कही है। उनका मुख्य फोकस एथेनॉल और पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों पर रहा है, लेकिन वास्तव में देश में पहले से ही एक प्रकार की फ्लेक्सी फ्यूल कार चलन में है – और वह हैं CNG गाड़ियां। ये गाड़ियां न केवल पेट्रोल की तुलना में अधिक किफायती हैं, बल्कि अब इनका बाजार भी तेजी से फैल रहा है।
CNG (कंप्रेस्ड नेचुरल गैस) से चलने वाली गाड़ियां आज की जरूरत बन चुकी हैं। इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि जब CNG खत्म हो जाए, तो ये वाहन पेट्रोल मोड पर स्विच हो सकते हैं। यही फ्लेक्सी फ्यूल तकनीक का असली उदाहरण है, जिसे देश में पहले से अपनाया जा चुका है।
“पिछले पांच वर्षों में CNG गाड़ियों का मार्केट शेयर तीन गुना तक बढ़ गया है।” जहां वित्त वर्ष 2019-20 में इनका मार्केट शेयर महज 6.3% था, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 19.5% तक पहुंच गया है। दूसरी तरफ, पेट्रोल कारों का शेयर 76.3% से घटकर 57.7% पर आ गया है।
बेहतर माइलेज: पेट्रोल कार जहां 1 लीटर में 15–16 किमी का एवरेज देती हैं, वहीं CNG गाड़ियां 25–26 किमी प्रति किलोग्राम तक माइलेज देती हैं।
Tata Motors ने CNG कारों में बूट स्पेस की समस्या का हल निकालते हुए Twin Cylinder टेक्नोलॉजी शुरू की है। इससे यूजर्स को ज्यादा स्पेस और बेहतर परफॉर्मेंस दोनों मिल रहे हैं।
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मई 2025 में देश में बिकी कुल कारों में से 4.1% इलेक्ट्रिक कारें थीं। जबकि 2024 में यह आंकड़ा 2.6% था। यानी EV की बिक्री भी अब दोगुनी हो चुकी है, लेकिन अभी भी पेट्रोल और डीजल गाड़ियों से पीछे है।
भारत में CNG कारों ने अब अपनी एक अलग पहचान बना ली है। बेहतर माइलेज, कम खर्च और पर्यावरण अनुकूल तकनीक के चलते ये भविष्य की गाड़ियां बनती जा रही हैं।