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चेन्नई: एक बड़ी खबर के अनुसार भारत की ‘हरित क्रांति’ के जनक (Father of India’s Green Revolution) एमएस स्वामीनाथन (MS Swaminathan) का आज यानी गुरूवार 28 सितंबर की सुबह को 98 साल की उम्र में चेन्नई में निधन हो गया। वे अपने पीछे परिवार में अपनी पत्नी मीना और तीन बेटियां सौम्या, मधुरा और नित्या को छोड़ गए हैं। उनका जन्म 7 अगस्त 1925 को हुआ था।एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन के सूत्रों ने बताया कि उनका कुछ वक्त से उम्र संबंधी बीमारियों के लिए इलाज चल रहा था।
Father of India’s Green Revolution, MS Swaminathan passes away in Chennai, Tamil Nadu.
(Pic: MS Swaminathan Research Foundation) pic.twitter.com/KS4KIFtaP2
— ANI (@ANI) September 28, 2023
जानकारी दें कि, स्वामीनाथन ने धान की ज्यादा पैदावार देने वाली किस्मों को डेवलप करने में अपनी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिली कि भारत के कम आय वाले किसान कैसे ज्यादा से ज्यादा फसल पैदा करें। स्वामीनाथन को उनके पुनीत कार्यों के चलते साल 1971 में रेमन मैग्सेसे और फिर 1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन वर्ल्ड साइंस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।
PM मोदी ने जताया शोक
प्रोफेसर स्वामीनाथन के निधन की खबर सुनकर PM मोदी भी दुखी होते हुए कहा कि, “उन्होंने हमेशा ही देश के लिए काम किया। स्वामीनाथन ने कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व काम करते हुए हजारों लोगों की जिंदगी संवारी।”
Deeply saddened by the demise of Dr. MS Swaminathan Ji. At a very critical period in our nation’s history, his groundbreaking work in agriculture transformed the lives of millions and ensured food security for our nation. pic.twitter.com/BjLxHtAjC4
— Narendra Modi (@narendramodi) September 28, 2023
प्रधानमंत्री ने स्वामीनाथन को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि, “भारत को प्रगति करते देखने का उनका जुनून अनुकरणीय था तथा उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि, “कृषि में अपने क्रांतिकारी योगदान से इतर, स्वामीनाथन नवाचार के ‘पावरहाउस’ और कई लोगों के लिए वह एक कुशल संरक्षक भी थे। अनुसंधान और लोगों के लिए प्रतिपालक की अपनी भूमिका को लेकर उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने अनगिनत वैज्ञानिकों और अन्वेषकों पर एक अमिट छाप छोड़ी।”
उन्होंने कहा, “मैं डॉ स्वामीनाथन के साथ अपनी बातचीत को हमेशा संजोकर रखूंगा। भारत को प्रगति करते देखने का उनका जुनून अनुकरणीय था। उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना।”
धान की फसलों को बढ़ावा देने में ख़ास भूमिका
बता दें कि, प्रोफेसर स्वामीनाथन ने देश में धान की फसल को बढ़ावा देने में अहम और काफी अग्रणी भूमिका निभाई थी। उन्होंने धान की अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में अपना बड़ा योगदान दिया था। इनकी इस महत्वपूर्ण पहल के चलते पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों को काफी मदद भी मिली थी।
संभाले अनेकों ख़ास पद
जानकारी हो कि, अपने जीवनकाल और कार्यकाल में स्वामीनाथन ने कई प्रमुख पदों पर काबिज रहे। वो भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान का निदेशक (1961-1972), ICR के महानिदेशक और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव (1972-79), कृषि मंत्रालय के प्रधान सचिव (1979-80) भी नियुक्त किया गया था।