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ऐतिहासिक दीक्षाभूमि पर छाई रही वीरानी, 64 वर्ष में पहला अवसर

  • By navabharat
Updated On: Oct 15, 2020 | 11:55 PM
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चंद्रपुर. ड़ॉ बाबासाहब आंबेडकर द्वारा हजारों अनुयायियों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दिए जाने से ऐतिहासिक महत्व प्राप्त स्थानीय दीक्षाभूमि पर गुरुवार को वीरानी छाई रही।

कोरोना के संक्रमण काल की पृष्ठभूमि पर इस बार दीक्षाभूमि पर के सभीं कार्यक्रम जिला प्रशासन तथा आयोजन समिति की ओर से रद्द किए जाने से प्रतिवर्ष 15 अक्टूबर को लाखों की तादाद में अनुयायियों से भरे रहने वाले रामनगर स्थित दीक्षाभूमि स्थल तथा परिसर में दिनभर पूर्णतः वीरान रहा। पिछले 64 वर्ष में यह पहला अवसर रहा जब दीक्षाभूमि 15 अक्टूबर को शांत और वीरान नजर आयी।

डॉ. आंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में तथा उसके दो दिन पश्चात चंद्रपुर में हजारों की तादाद में अनुयायियों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी थी। तबसे नागपुर और चंद्रपुर के उस दीक्षास्थल को ऐतिहासिक महत्व प्राप्त हुआ है। बौद्ध धम्म को माननेवाले लाखों अनुयायी इस दीक्षाभूमि को अपना पवित्र स्थान मानते हुए डॉ बाबासाहब तथा 1956 में हुए ऐतिहासिक दीक्षांत समारोह का स्मरण करने के लिए दीक्षाभूमि पर आते है और उस भूमि पर नतमस्तक होते है।

कोरोना के संकट को देखते हुए जिला प्रशासन ने इस बार दीक्षाभूमि पर किसी प्रकार का आयोजन नहीं करने के निर्देश जारी किए थे। जिला प्रशासन के निर्देशों का पालन करते हुए स्थानीय दीक्षाभूमि पर कार्यरत डॉ बाबासाहब आंबेडकर स्मारक समिति ने भी इस वर्ष दीक्षाभूमि पर स्थित सभीं कार्यक्रम रद्द किए है। इस आशय की घोषणा भी समिति ने दीक्षाभूमि स्थल पर बैनर लगाकर अनुयायियों द्वारा इस बार दीक्षाभूमि पर नहीं आने की अपील की है।

Desolation dominated historical deekshabhoomi first opportunity in 64 years

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Published On: Oct 15, 2020 | 11:55 PM

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