फोटो फाइल (सोर्स -सोशल मीडिया)
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: इजरायल और फिलिस्तीन के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। इजरायल ने गाजा पर हमलों की रफ्तार तेज कर दी है और अब फिलिस्तीनियों को गाजा से निकालने के लिए विशेष निदेशालय का गठन कर दिया गया है। यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की योजना के अनुरूप है, जिसमें गाजा को खाली कर पुनर्निर्मित करने की बात की गई थी। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू फिलिस्तीनियों के ‘स्वेच्छा से पलायन’ को बढ़ावा देने की कोशिश में लगे हैं। लेकिन फिलिस्तीनी नेता अपनी मातृभूमि छोड़ने से इनकार कर रहे हैं और इस योजना की कड़ी आलोचना कर रहे हैं।
इजरायल कैबिनेट ने हाल ही में एक नए निकाय के गठन को मंजूरी दी है, जिसका मकसद गाजा से फिलिस्तीनियों के पलायन को योजनाबद्ध ढंग से अंजाम देना है। रक्षा मंत्री इज़राइल काट्ज़ ने बताया कि यह निकाय अंतरराष्ट्रीय कानून के दायरे में रहकर काम करेगा और फिलिस्तीनियों को अन्य देशों में जाने का रास्ता दिखाएगा। हालांकि, इस प्रस्ताव का मानवाधिकार संगठनों और फिलिस्तीनी नेताओं ने जमकर विरोध किया है, इसे जबरन विस्थापन करार दिया जा रहा है।
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शनिवार रात से शुरू हुए इजरायली हवाई हमलों में गाजा के दक्षिणी हिस्से में भारी तबाही मची है। अब तक 26 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। हमास के वरिष्ठ नेता सलाह बरदवील भी इस हमले में मारे गए। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अब तक युद्ध में 50,021 फिलिस्तीनी जान गंवा चुके हैं, जबकि 1,13,000 से अधिक घायल हुए हैं।
इजरायल के इस कदम को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी चिंता जाहिर की जा रही है। फिलिस्तीनियों का कहना है कि वे जबरन अपनी जमीन छोड़ने को मजबूर नहीं होंगे। इस पूरे घटनाक्रम ने पश्चिम एशिया में नई उथल-पुथल पैदा कर दी है, जिसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर देखने को मिल सकता है।