
डोनाल्ड ट्रंप (सोर्स- सोशल मीडिया)
US-China Port Fees Suspension: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन पर सख्त रुख अपनाने का दावा करते हैं, लेकिन हाल ही में उन्होंने एक ऐसा फैसला लिया है जिसे चीन के सामने झुकने की तरह देखा जा रहा है। अमेरिका ने चीनी जहाजों पर लगाई गई नई पोर्ट फीस को अस्थायी रूप से रोक दिया है। इस फैसले को लेकर ट्रंप की अमेरिका में काफी आलोचना हो रही है।
दरअसल, पिछले महीने अमेरिका और चीन ने एक-दूसरे के जहाजों पर पोर्ट फीस लगाई थी। लेकिन दक्षिण कोरिया में हुई एक बैठक में राष्ट्रपति ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बातचीत के बाद, दोनों देशों ने यह फीस रोकने का फैसला किया। अमेरिका ने सबसे पहले कदम उठाया, जिसके बाद चीन ने भी अपने यहां से अमेरिकी जहाजों पर फीस हटा दी।
अमेरिका की विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी का कहना है कि ट्रंप चीन के प्रति नरमी दिखा रहे हैं। वहीं अमेरिकी ट्रेड यूनियनों ने भी इस फैसले पर नाराजगी जताई है। वहीं अमेरिकी विशेषज्ञों और यूनियनों का कहना है कि इस फैसले से अमेरिका को नुकसान होगा, क्योंकि अमेरिकी पोर्ट पर चीनी जहाज ज्यादा आते हैं। उनका मानना है कि इससे चीन को गलत संदेश जाएगा और अमेरिका की समुद्री ताकत कमजोर होगी।
विशेषज्ञों ने इस फैसले को गंभीर रणनीतिक गलती बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने 10,000 से ज्यादा चीनी जहाजों की फीस माफ कर दी, जबकि चीन ने सिर्फ कुछ सौ अमेरिकी जहाजों पर से फीस हटाई।
अमेरिकी विपक्ष के सांसदों ने भी कहा कि यह कदम अमेरिका के समुद्री उद्योग को कमजोर करेगा। कांग्रेस सदस्यों राजा कृष्णमूर्ति और जॉन गरमेंडी ने कहा कि यह फैसला ट्रंप प्रशासन के वादों के खिलाफ है, क्योंकि इससे अमेरिकी नौवहन क्षेत्र के पुनर्निर्माण में देरी होगी।
अमेरिका ने अक्टूबर में चीन के जहाजों पर 50 डॉलर प्रति टन की फीस लगाई थी। यह फैसला पिछली सरकार की उस जांच के बाद लिया गया था जिसमें कहा गया था कि चीन अपनी नीतियों और सब्सिडी के चलते जहाज निर्माण में बढ़त हासिल कर रहा है।
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अमेरिकी मजदूर संगठनों ने कहा कि यह फैसला चीन को दुबारा फायदा देगा और अमेरिकी जहाज उद्योग को नुकसान पहुंचाएगा। हालांकि, कुछ लोग कहते हैं कि इससे व्यापार पर तनाव कम होगा और वैश्विक सप्लाई चेन को स्थिरता मिलेगी।






