अमेरिकी सीनेटर रिक स्कॉट ने भारत-चीन से आने वाली जेनेरिक दवाओं पर जताई चिंता (डिजाइन)
US Medicine Supply Chain: अमेरिका में दवाओं की आपूर्ति शृंखला को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है, जिसमें भारत और चीन निशाने पर हैं। सीनेटर रिक स्कॉट ने सीनेट की विशेष समिति के सामने विदेशी जेनेरिक दवाओं पर बढ़ती निर्भरता को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उनका दावा है कि अमेरिका अपनी जरूरत के कच्चे माल और दवाओं के लिए पूरी तरह विदेशों पर निर्भर हो चुका है। यह स्थिति न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरी है, बल्कि इसे अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी एक रणनीतिक कमजोरी माना जा रहा है।
सीनेटर रिक स्कॉट ने खुलासा किया कि अमेरिका में उपयोग होने वाली जेनेरिक दवाओं के सक्रिय तत्व यानी एपीआई (API) का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा विदेशों से आता है। विशेष रूप से चीन और भारत इस सूची में शीर्ष पर हैं। चिंता की बात यह है कि अमेरिका में घरेलू उत्पादन तेजी से गिरा है।
साल 2002 में जहां अमेरिका अपनी 83 प्रतिशत दवाएं खुद बनाता था, वहीं 2024 में यह आंकड़ा घटकर मात्र 37 प्रतिशत रह गया है। रिपोर्ट बताती है कि 95 प्रतिशत आइबुप्रोफेन और 70 प्रतिशत पैरासिटामोल के लिए अमेरिका सीधे तौर पर चीन पर निर्भर है।
सीनेटर स्कॉट ने चेतावनी दी है कि विदेशी फैक्ट्रियों में निरीक्षण की कमी के कारण दवाओं की क्वालिटी से समझौता हो रहा है। समिति की एक स्टडी के अनुसार, भारत में निर्मित जेनेरिक दवाओं के दुष्प्रभाव अमेरिकी दवाओं की तुलना में 54 प्रतिशत अधिक पाए गए हैं।
इन दुष्प्रभावों में स्थायी विकलांगता और मृत्यु जैसे गंभीर खतरे शामिल हैं। स्कॉट का कहना है कि एफडीए (FDA) विदेशी इकाइयों का उतना सख्त निरीक्षण नहीं कर पाता जितना घरेलू कंपनियों का करता है, जिससे अमेरिकी परिवारों की सुरक्षा के साथ ‘जुआ’ खेला जा रहा है।
रिपोर्ट में सबसे बड़ा डर चीन की सप्लाई चेन पर पकड़ को लेकर जताया गया है। दुनिया के 90 प्रतिशत एंटीबायोटिक API चीन में बनते हैं। सीनेटर ने आगाह किया कि चीन किसी भी भू-राजनीतिक तनाव की स्थिति में दवाओं की आपूर्ति रोक सकता है।
अगर ऐसा होता है, तो अमेरिकी सेना के जवानों और बुजुर्गों को जीवनरक्षक दवाएं मिलना बंद हो जाएंगी। भारत की भूमिका भी इसमें महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका की 50 प्रतिशत जेनेरिक दवाएं भारत से आती हैं, लेकिन भारतीय कंपनियां भी कच्चे माल के लिए 80 प्रतिशत चीन पर ही निर्भर हैं।
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इस संकट से निपटने के लिए सीनेटर स्कॉट ने तत्काल सुधारों की मांग की है। उन्होंने सुझाव दिया है कि दवाओं की पैकेजिंग पर उनके मूल देश (Country of Origin) की जानकारी देना अनिवार्य किया जाए। साथ ही, ‘मेड इन अमेरिका’ उत्पादों को प्राथमिकता देने के लिए एक फेडरल बायर मार्केट बनाने की बात कही गई है। समिति ने अमेरिकी बायोटेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने और दवा आपूर्ति सीरीज की पूरी मैपिंग करने पर जोर दिया है ताकि भविष्य में किसी भी विदेशी दबाव से बचा जा सके और अमेरिकी नागरिकों को सुरक्षित दवाएं मिल सकें।