
नई दिल्ली: आज यानी 1 मई पुरे दुनिया के लोगों के लिए बहुत खास दिन है क्यों की इस दिन पुरे विश्व में ‘अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर’ (International Workers’ Day 2022) दिवस है। माना जाता है कि इस दिवस को मनाने की शुरुआत 1 मई 1886 से हुई है। दरअसल इस दिन अमेरिका की मज़दूर यूनियनों नें काम का समय 8 घंटे से ज़्यादा न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी। आपको बता दें कि साल 1877 में मजदूरों ने अपने काम के घंटे तय करने की अपनी मांग को लेकर एक आंदोलन शुरू किया।
जिसके बाद एक मई 1886 को पूरे अमेरिका में लाखों मजदूरों ने एकजुट होकर इस मुद्दे को लेकर हड़ताल की। इस हड़ताल में लगभग 11 हजार फैक्ट्रियों के 3 लाख 80 हजार मजदूर शामिल हुए. तब से हर साल 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस पूरे विश्व में मनाया जाता है। आइए आज इस दिवस के अवसर पर जानते है इससे जुड़ी कुछ खास जिम्मेदारी..
हर एक विशेष दिन का महत्व होता है ठीक उसी तरह इस दिन का भी बहुत महत्व है, इसलिए इस वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है। किसी भी समाज, देश, संस्था और उद्योग में मजदूरों, कामगारों और मेहनतकशों की अहम भूमिका होती है। उन की बड़ी संख्या इस की कामयाबी के लिए हाथों, अक्ल-इल्म और तनदेही के साथ जुटी होती है। किसी भी उद्योग में कामयाबी के लिए मालिक, सरमाया, कामगार और सरकार अहम होते हैं। कामगारों के बिना कोई भी औद्योगिक ढांचा खड़ा नहीं रह सकता। इसलिए कामगारों के हितों में इनके हक़ में यह दिन मनाया जाता है।
आपको बता दें कि भारत में एक मई का दिवस सबसे पहले चेन्नई में 1 मई 1923 को मनाना शुरू किया गया था। उस समय इस को मद्रास दिवस के तौर पर प्रमाणित कर लिया गया था। इसकी शुरुआत भारतीय मजदूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने शुरू की थी भारत में मद्रास के हाईकोर्ट सामने एक बड़ा प्रदर्शन किया और एक संकल्प के पास करके यह सहमति बनाई गई कि इस दिवस को भारत में भी कामगार दिवस के तौर पर मनाया जाये और इस दिन छुट्टी का ऐलान किया जाये। भारत समेत लगभग 80 मुल्कों में यह दिवस पहली मई को मनाया जाता है। इसके पीछे तर्क है कि यह दिन अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस के तौर पर प्रमाणित हो चुका है।






