भूकंप के जबरदस्त झटके, फोटो (सो.सोशल मीडिया)
Tibet Earthquake: तिब्बत में एक बार फिर भूकंप महसूस किया गया है। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 3.9 दर्ज की गई। भूकंप का केंद्र जमीन की सतह से लगभग 10 किलोमीटर गहराई में था। बता दें कि इससे पहले 7 जनवरी 2025 को तिब्बत के डिंगरी (टिंगरी) काउंटी में भीषण भूकंप आया था। उस समय झटके 6.8 तीव्रता के थे, जबकि अमेरिकी भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) ने इसे 7.1 मापा था।
उस हादसे में कम से कम 126 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 188 लोग घायल हुए थे। इसके साथ ही 3,600 से ज्यादा घर पूरी तरह ढह गए थे। हालात बिगड़ने पर लगभग 46,000 लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजना पड़ा था। तिब्बत के अलावा उस भूकंप के झटके नेपाल, भूटान और भारत के उत्तर-पूर्वी इलाकों तक महसूस किए गए थे।
तिब्बत का पठार भारतीय प्लेट और यूरेशियाई प्लेट की टक्कर से बना है। यह क्षेत्र भूकंपीय गतिविधियों के लिहाज़ से बेहद संवेदनशील माना जाता है, इसलिए यहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं। इसी साल मई 2025 में भी यहां 5.7 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था। हालांकि, इस झटके से किसी तरह के जान-माल के नुकसान की जानकारी सामने नहीं आई।
तिब्बत भूकंप की दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है, क्योंकि यह हिमालय पर्वत श्रृंखला और भारतीय प्लेट के टकराव वाले हिस्से में स्थित है। अतीत में यहां कई विनाशकारी भूकंप आ चुके हैं। इनमें सबसे बड़ा भूकंप 15 अगस्त 1950 को दर्ज किया गया था, जिसे असम-तिब्बत भूकंप के नाम से जाना जाता है। इसकी तीव्रता 8.6 रिक्टर स्केल मापी गई थी। इसका केंद्र तिब्बत और असम की सीमा पर था। यह दुनिया का आठवां सबसे शक्तिशाली भूकंप माना जाता है। इस आपदा के दौरान नदियों की दिशा बदल गई, भूस्खलन हुए और हजारों लोगों की जानें चली गईं।
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भूकंप धरती पर आने वाली सबसे खतरनाक प्राकृतिक आपदाओं में गिना जाता है। यह एक ऐसी घटना है, जिसमें ज़मीन अचानक हिलने लगती है। कुछ ही पलों में यह हजारों लोगों की जान ले सकती है और भारी तबाही ला सकती है। धरती का ढांचा मुख्य रूप से टेक्टोनिक प्लेटों पर टिका हुआ है। ये प्लेटें लगातार बहुत धीमी गति से खिसकती रहती हैं। जब ये प्लेटें आपस में टकरा जाती हैं, फंस जाती हैं या अचानक सरक जाती हैं, तो अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है। यही ऊर्जा जमीन को झकझोर देती है, जिसे हम भूकंप कहते हैं।