पाकिस्तान में तनाव (सोर्स- सोशल मीडिया)
Pakistan: पाकिस्तान के लिए 2025 का किसी बुरे सपने की तरह साबित हो रहा है। पहले उसे ऑपरेशन सिंदूर में भारत के हाथों हार का सामना करना पड़ा, वहीं अब तालिबान और बलूचिस्तान ने पाकिस्तानी सरकार और सेना की नींद हराम कर दी है। पाकिस्तान बार-बार इस्लाम के नाम पर इन्हें को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन इसके बाद भी वो अपने कारनामों के कारण तीन तरफ से घिरा हुआ नजर आ रहा है।
पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट एंड सिक्योरिटी स्टडीज (PICSS) की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी से सितंबर 2025 के बीच पाकिस्तान में हिंसा की घटनाएं 2024 के पूरे साल की तुलना में बराबर हो चुकी हैं। इस अवधि में 500 से अधिक आतंकी हमले हुए, जिनमें सैकड़ों लोगों की जान गई। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स 2025 में पाकिस्तान दूसरे स्थान पर पहुंच गया है।
2021 में जब अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनी थी, तब पाकिस्तान ने इसे अपनी रणनीतिक जीत बताते हुए उत्सव मनाया था। पाकिस्तान को भरोसा था कि जिन मुजाहिदीनों की उसने वर्षों तक मदद की, अब उनके ही नेतृत्व वाली सरकार काबुल में है, जिससे रिश्ते मजबूत होंगे। लेकिन हकीकत इसके ठीक उलट निकली। तालिबान ने पाकिस्तान-अफगानिस्तान की सीमा रेखा डूरंड लाइन को मानने से इनकार कर दिया, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव शुरू हो गया। 2021 से ही सीमा पर हल्की-फुल्की झड़पों की खबरें आती रहीं, लेकिन 2025 तक यह टकराव गंभीर संघर्ष का रूप ले चुका है।
दक्षिण-पश्चिम पाकिस्तान में बलोच विद्रोह सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती बना हुआ है। बलोच विद्रोही संगठन, जैसे कि बलोच लिबरेशन आर्मी (BLA), बलूचिस्तान की कीमती खनिज संपदा के दोहन और इससे हो रही उपेक्षा को लेकर लंबे समय से नाराज हैं। 2025 में पाकिस्तान सरकार ने बलूचिस्तान के रेयर अर्थ मैटेरियल को अमेरिका को बेचने के लिए एक समझौता किया है। इस डील से विद्रोह और भी भड़क गया है, और बलोच विद्रोही लगातार पाकिस्तानी सेना और सरकारी प्रतिष्ठानों को निशाना बना रहे हैं।
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2024 के बाद भारत ने पाकिस्तान के प्रति रुख सख्त करते हुए आतंकवाद के खिलाफ ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ नीति अपनाई। पाकिस्तान, जो शुरू से ही भारत विरोध की भावना पर आधारित रहा है, एक बार फिर आतंक को बढ़ावा देता नजर आया। अप्रैल 2025 में पहलगाम हमले के बाद भारत ने सुरक्षा नीति में बड़ा बदलाव करते हुए मई में ऑपरेशन सिंदूर के तहत करारा जवाब दिया। वहीं, पाकिस्तान में तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) ने गाजा समझौते में अमेरिका-इजरायल का समर्थन करने पर सरकार के खिलाफ हिंसक आंदोलन छेड़ दिया।