रूसी राष्ट्रपति पुतिन पाक पीएम शहबाज शरीफ और तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन (सोर्स- सोशल मीडिया)
Russia India Pakistan Mediation: अंतर्राष्ट्रीय मंच पर रूस की कूटनीतिक सक्रियता अचानक बढ़ गई है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन तुर्कमेनिस्तान में तुर्की और पाकिस्तान के नेताओं से मिलने वाले हैं। हाल ही में भारत का दौरा कर चुके पुतिन की पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ से संभावित मुलाकात कूटनीतिक हलकों में दिलचस्पी पैदा कर रही है।
इसी बीच, पाकिस्तान में रूसी राजदूत ने भारत-पाकिस्तान विवाद को लेकर इस्लामाबाद की भाषा बोलते हुए मध्यस्थता का प्रस्ताव भी दिया है, जो भारत के दशकों पुराने सहयोगी के रुख में बदलाव का संकेत देता है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शुक्रवार को तुर्कमेनिस्तान में तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात करेंगे। तीनों नेता इंटरनेशनल पीस एंड ट्रस्ट फोरम में भाग लेने के लिए वहां मौजूद हैं।
यह मुलाकात ऐसे समय में हो रही है जब भारत के संबंध तुर्की और पाकिस्तान दोनों के साथ तनावपूर्ण हैं। तुर्की लगातार कश्मीर और ऑपरेशन सिंदूर जैसे मुद्दों पर पाकिस्तान का खुला समर्थन करता रहा है, जबकि रूस भारत का एक भरोसेमंद और दशकों पुराना सहयोगी रहा है।
पुतिन के इस दौरे से पहले, पाकिस्तान में रूस के राजदूत अल्बर्ट पी खोरेव ने दोनों देशों के संबंधों पर बयान दिया। उन्होंने बताया कि रूस और पाकिस्तान वेस्टर्न पेमेंट नेटवर्क पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए वैकल्पिक बैंकिंग चैनल तलाश रहे हैं।
खोरेव ने कहा कि दोनों देशों को लंबे समय से पेमेंट में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए एक रोडमैप पर काम किया जा रहा है। उन्होंने ट्रेड और एनर्जी मामलों में दोनों मुल्कों के आगे बढ़ने पर जोर दिया, जिसमें पाकिस्तान स्टील मिल्स (PSM) को फिर से शुरू करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर करना भी शामिल है।
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रूसी राजदूत अल्बर्ट पी खोरेव ने भारत-पाकिस्तान के संबंधों पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को कूटनीतिक तरीकों से अपने विवादों को हल करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा, “अगर पाकिस्तान और भारत सहमत होते हैं तो फिर रूस दोनों पड़ोसियों के बीच रिश्तों को सामान्य बनाने के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाने के लिए तैयार है।”
हालांकि, रूसी राजनयिक ने कश्मीर मुद्दे पर यह भी कहा कि पाकिस्तान और भारत को यह मामला आपस में हल करना चाहिए और इसमें किसी तीसरे पक्ष को शामिल नहीं करना चाहिए। उन्होंने सेंट्रल एशियाई देशों के साथ पाकिस्तान की कनेक्टिविटी बढ़ने से इस्लामाबाद-मॉस्को की पार्टनरशिप मजबूत होने की बात भी कही।