सेना प्रमुख ने ओली के सामने रखी थी इस्तीफे की शर्त (फोटो- सोशल मीडिया)
Nepal Gen Z Protest: नेपाल में हाल ही में जनआंदोलन बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। उनके इस्तीफा से जुड़ा एक बड़ा खुलासा हुआ है। जिसके मुताबिक, ओली शुरूआत में अपना पद छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे। लेकिन जैसे ही आंदोलन ने हिंसक रूप लिया, तब उन्होंने घबराकर सेना प्रमुख को फोन कर हेलीकॉप्टर की मांग की थी। इस पर सेना प्रमुख अशोक राज सिगडेल ऐसा करने के लिए उनके सामने इस्तीफे की शर्त रख दी।
नेपाली समाचार पोर्टल, उकेरा की रिपोर्ट के मुताबाकि, जब हिंसा भड़ने के बाद प्रधानमंत्री ने हड़बड़ाहट में सेना प्रमुख अशोक राज सिगडेल को हेलीकॉप्टर से उड़ाना भरने का अनुरोध किया। तब सेना प्रमुख से का जवाब बेहद तल्ख था। उन्होंने ओली के साफ कर दिया कि पहले वो इस्तीफा देंगे उसके बाद ही हेलीकॉप्टर उड़ान भरेगा।
2024 शेर बहादुर देउबा की सरकार गिरने के बाद सत्ता में लौटी केपी शर्मा ओली सरकार पर लगातार भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, संसाधनों के कुप्रबंधन और सत्तावादी होने आरोप लगते रहते थे। इसके अलावा नेपाल में आए दिन भ्रष्टाचार संबंधी खुलासों में नेताओं के नाम आने से जनता सरकार से परेशन हो गई थी, और जब सरकार ने सोशल मीडिया पर बैन लगाया तो देश के युवा भड़क उठे और नतीजतन काठमांडू सहित देश के कई हिस्सों में सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शन हुए।
माना जाता है कि नेपाल के बेरोजगार युवा सोशल मीडिया पर नेताओं के बच्चों की फोटोस और वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करके सरकार की आलोचना करते थे। जिन्हें वो नेपो बेबी कहते थे। नेपाल के अधिकत्तर युवा बेरोजगार है या काम की तलाश में देश छोड़ने को मजबूर थे। वहीं नेपो बेबी मंहगी कारों और विदेश में रहते थे। लेकिन जब आलोचनाएं बढ़ने लगी तब सरकार ने युवाओं की आवाज को दबाने के लिए सोशल मीडिया को ही बैन करने का फैसला कर ले लिया।
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उकेरा की रिपोर्ट के अनुसार, उस सुबह ओली ने नेपाल पुलिस, सशस्त्र पुलिस बल और राष्ट्रीय जाँच विभाग के प्रमुखों को जानकारी दी, जिन्होंने बढ़ती भीड़ और नेताओं के घरों पर गंभीर खतरे की चेतावनी दी। एक अंदरूनी सूत्र के मुतबाकि, ज़्यादातर प्रमुख नेताओं के घरों को घेरा जा रहा था, फिर भी ओली ने इसे सिर्फ ठीक है कहकर टाल दिया। इसके बजाय, उन्होंने बिना किसी जल्दबाजी के कड़ी सुरक्षा व्यवस्था का आदेश दे दिया। लेकिन तब तक चीजें सेना के हाथ से बाहर निकाल गई थी।