बांग्लादेश की पूर्व और पहली महिला पीएम खालिदा जिया (सोर्स-सोशल मीडिया)
Bangladesh First Female Prime Minister: बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया का मंगलवार (30 दिसंबर, 2025) सुबह निधन हो गया। ढाका के एवरकेयर अस्पताल में 80 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली, जहां वे पिछले पांच हफ्तों से जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रही थीं।
हैरान करने वाली बात यह है कि मौत से महज 24 घंटे पहले, सोमवार को ही उनके नाम पर बोगरा-7 सीट से आगामी आम चुनावों के लिए नामांकन दाखिल किया गया था। उनके निधन की खबर ने न केवल उनकी पार्टी बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के राजनीतिक गलियारों को स्तब्ध कर दिया है।
खालिदा जिया की तबीयत पिछले काफी समय से नाजुक बनी हुई थी, लेकिन पार्टी समर्थकों को उम्मीद थी कि वे एक बार फिर देश का नेतृत्व करेंगी। सोमवार (29 दिसंबर) को नामांकन की आखिरी तारीख होने के कारण उनके प्रतिनिधियों ने बोगरा-7 सीट से उनका पर्चा भरा था। यह सीट उनके परिवार का पारंपरिक गढ़ रही है।
हालांकि, मंगलवार सुबह 6 बजे फज्र की नमाज के कुछ ही समय बाद उनके शरीर ने साथ छोड़ दिया। लिवर सिरोसिस, डायबिटीज और हृदय रोगों जैसी गंभीर बीमारियों के कारण उनकी स्थिति पिछले 48 घंटों में काफी बिगड़ गई थी।
बेगम खालिदा जिया का राजनीतिक सफर साहस और संघर्षों से भरा रहा है। 1945 में जलपाईगुड़ी (अविभाजित भारत) में जन्मी खालिदा जिया 1991 में बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी थीं। उन्होंने कुल तीन बार देश का नेतृत्व किया और संसदीय लोकतंत्र की बहाली में अहम भूमिका निभाई।
अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने महिला शिक्षा और ग्रामीण विकास के लिए कई क्रांतिकारी कदम उठाए। उनके पति जियाउर रहमान की हत्या के बाद उन्होंने जिस तरह से BNP की कमान संभाली, उसने उन्हें ‘लोकतंत्र की रक्षक’ के रूप में स्थापित किया।
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खालिदा जिया का निधन 12 फरवरी, 2026 को होने वाले आम चुनावों से ठीक पहले हुआ है। शेख हसीना के तख्तापलट के बाद यह पहला बड़ा चुनाव है, जिसमें अवामी लीग पर प्रतिबंध है। अब BNP की पूरी जिम्मेदारी उनके बेटे तारिक रहमान पर आ गई है, जो हाल ही में निर्वासन से लौटे हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि खालिदा जिया की मृत्यु से पैदा हुई सहानुभूति की लहर चुनावों में बीएनपी को भारी बढ़त दिला सकती है। हालांकि, उनकी अनुपस्थिति में कट्टरपंथी ताकतों को नियंत्रित रखना तारिक के लिए एक कड़ी परीक्षा होगी।