जस्टिन ट्रूडो ( कांसेप्ट फोटो सौ. सोशल मीडिया)
ओटावा : कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की है। वह लिबरल पार्टी के नेता के रूप में भी पद छोड़ देंगे। ट्रूडो करीब एक दशक तक प्रधानमंत्री रहे और उनके इस्तीफे का फैसला पार्टी के भीतर दबाव और घटती लोकप्रियता के बीच आया है।
हाल के सर्वेक्षणों में कंजर्वेटिव पार्टी, जिसे पियरे पोःःइलीवर नेतृत्व कर रहे हैं, को लिबरल पार्टी से आगे दिखाया गया है। इसके अलावा, ट्रूडो के इस्तीफे का एक प्रमुख कारण वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड का हालिया इस्तीफा भी है। फ्रीलैंड ने आर्थिक नीतियों और अमेरिकी राष्ट्रपति-निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप के संभावित टैरिफ को लेकर असहमति के चलते पद छोड़ा था।
#WATCH | “…I intend to resign as party leader, as Prime Minister after the party selects its next leader…Last night I asked the president of the Liberal Party to start that process..,” says Canadian PM Justin Trudeau.
“…I am a fighter. Every bone in my body has always… pic.twitter.com/Cvih6YJCzP
— ANI (@ANI) January 6, 2025
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2015 में प्रधानमंत्री बने जस्टिन ट्रूडो का कार्यकाल कई प्रगतिशील पहलों और विवादों के लिए जाना जाता है। हालांकि उनके खिलाफ ब्लैकफेस फोटो और अनुचित व्यवहार के आरोप भी लगे, जिससे उनकी छवि पर असर पड़ा।
अब लिबरल पार्टी नए नेता का चुनाव करेगी। ट्रूडो का इस्तीफा कनाडा की राजनीति में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है, खासकर तब जब देश आर्थिक चुनौतियों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के नए दौर का सामना कर रहा है।
जी-20 शिखर सम्मेलन में बढ़ा विवाद- सितंबर 2023 में नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत और कनाडा के रिश्तों में तनाव देखने को मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से मुलाकात के दौरान खालिस्तान समर्थक गतिविधियों पर अपनी नाराज़गी जताई। मोदी ने कहा कि ये गतिविधियां भारत की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। हालांकि, ट्रूडो ने भारत की चिंताओं को गंभीरता से लेने के बजाय इसे कनाडा का आंतरिक मामला बताया। इस रुख के कारण दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया।
भारत और कनाडा के बीच व्यापार समझौते (CEPA) पर चल रही बातचीत आपसी विवाद के चलते अनिश्चितकाल के लिए रोक दी गई है। भारत ने कनाडा में अपने राजनयिकों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। इसके साथ ही, भारत ने कनाडाई नागरिकों के लिए वीजा सेवाओं को भी निलंबित या सीमित कर दिया है। दोनों देशों के बीच तनाव के कारण यह कदम उठाया गया है।