BIMSTEC सम्मेलन में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
बैंकॉक: भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को 20वीं बिम्सटेक (BIMSTEC) मंत्रीस्तरीय बैठक में आतंकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी और अन्य आपराधिक गतिविधियों पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए बिम्सटेक को अधिक प्रभावी रूप से कार्य करना होगा।
वर्तमान अंतरराष्ट्रीय अस्थिरता के संदर्भ में उन्होंने साइबर सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी उपायों, मानव तस्करी और अवैध नशीले पदार्थों की तस्करी जैसी समस्याओं पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता बताई। इसके समाधान के लिए ठोस नीतियों और कार्ययोजनाओं के निर्माण पर बल दिया।
जयशंकर ने कहा कि वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में क्षेत्रीय सहयोग का महत्व बढ़ गया है। अब बड़े देश अकेले वैश्विक व्यवस्था को संचालित नहीं कर सकते, इसलिए विकासशील देशों को एकजुट होकर अपने हितों की रक्षा करनी होगी। बंगाल की खाड़ी से जुड़े देशों के साझा हित हैं, और उन्हें अपने आर्थिक विकास व स्थिरता के लिए परस्पर सहयोग करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हमारी ऐतिहासिक विरासत हमें मिलकर काम करने की प्रेरणा देती है।
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बिम्सटेक देशों के बीच व्यापार, निवेश और कनेक्टिविटी को सुधारने की आवश्यकता है। यदि हमें अपनी आर्थिक क्षमता बढ़ानी है, तो पुराने संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ नई संभावनाओं का भी लाभ उठाना होगा।
भारत की बंगाल की खाड़ी में सबसे लंबी समुद्री सीमा है और इसकी सीमाएँ पाँच बिम्सटेक देशों से मिलती हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र को कनेक्टिविटी का केंद्र बताते हुए कहा कि यह क्षेत्र सड़कों, रेलवे, जलमार्ग, ऊर्जा ग्रिड और पाइपलाइनों के माध्यम से पूरे क्षेत्र को आपस में जोड़ने में अहम भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि त्रिपक्षीय राजमार्ग (Trilateral Highway) के पूर्ण होने के बाद, भारत का उत्तर-पूर्वी हिस्सा सीधे प्रशांत महासागर से जुड़ जाएगा, जिससे व्यापार और जनसंपर्क को बढ़ावा मिलेगा। जयशंकर ने बिम्सटेक को मजबूत करने की भारत की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि क्षेत्रीय सहयोग को समग्र रूप से बढ़ावा देना चाहिए ताकि कोई भी क्षेत्र उपेक्षित न रहे।