यिफात टोमर-येरुशालमी (सोर्स- सोशल मीडिया)
Yifat Tomer-Yerushalmi News: इजरायल में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें देश की सेना की शीर्ष कानूनी अधिकारी यिफात टोमर-येरुशालमी को गिरफ्तार किया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने एक वीडियो लीक किया, जिसमें इजरायली सैनिकों को एक फिलस्तीनी बंदी पर हमला और दुष्कर्म करते हुए दिखाया गया था। इसके अलावा, आरोप है कि उन्होंने इस मामले को इजरायल की सुप्रीम कोर्ट से छिपाने की कोशिश की।
इस घटना ने देशभर में हलचल मचा दी है और इजरायली मीडिया के मुताबिक, टोमर-येरुशालमी पर धोखाधड़ी, विश्वासघात, पद का दुरुपयोग, न्याय में बाधा डालने और सरकारी गोपनीय जानकारी लीक करने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। रविवार को वह अचानक गायब हो गई थीं, और उनकी कार तेल अवीव के हॉफ हात्ज़ुक बीच के पास मिली, जिसके बाद बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया गया और आत्महत्या की आशंका जताई गई।
टोमर ने पिछले सप्ताह अपने इस्तीफे में स्वीकार किया था कि उन्होंने वीडियो सार्वजनिक करने की अनुमति दी थी, ताकि सेना के जांच अधिकारियों और अभियोजकों पर हो रहे हमलों को शांत किया जा सके। वीडियो में गाजा के एक बंदी पर इजरायली सैनिकों के हिंसक हमले के दृश्य थे, जो इजरायल और विदेशों में भारी आलोचना का कारण बने। इस मामले ने इजरायली राजनीति में भूचाल ला दिया, और दक्षिणपंथी राजनेताओं तथा टीवी पैनलिस्टों ने उन सैनिकों को ‘हीरो’ बताया और सेना के जांचकर्ताओं को ‘देशद्रोही’ कहकर निशाना बनाया।
This is the video that forced Yifat Tomer‑Yerushalmi to resign. She exposed Israeli soldiers s€xually assaulting Palestinian prisoners, and the government punished her for telling the truth. Courage comes at a cost, but silence protects the guilty! pic.twitter.com/m3nMiWkUJZ — Halima Khan (@khanhalima12) November 2, 2025
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को कहा कि इस घटना ने इजरायल और सेना की छवि को बहुत नुकसान पहुँचाया है। उनका कहना था कि यह देश की स्थापना के बाद से अब तक का सबसे गंभीर जनसंपर्क हमला है। इस विवाद ने पूरे देश में एक राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया, जिसमें कुछ नेताओं ने इस मामले में सेना को पूरी तरह से समर्थन देने की कोशिश की, जबकि अन्य ने इसे एक गंभीर अपराध बताया।
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वीडियो सामने आने के कुछ दिन बाद पांच सैनिकों पर गंभीर हमले और शारीरिक क्षति पहुँचाने का आरोप लगाया गया, लेकिन किसी को हिरासत में नहीं लिया गया। इस मामले ने इजरायल के अंदर और बाहर दोनों ही जगहों पर गहरी प्रतिक्रियाएँ पैदा की हैं, और यह मामला अब इजरायल की राजनीति और न्याय व्यवस्था के लिए एक बड़ा सवाल बन गया है।