सांकेतिक तस्वीर (फोटो- सोशल मीडिया)
India-Philippines Relations: ब्रिटेन में फिलीपींस के राजदूत टेडोरो लॉक्सिन जूनियर ने हाल ही में भारत-फिलीपींस के पहले संयुक्त नौसैनिक अभ्यास के बाद भारतीय नौसेना की खुलकर प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना दुनिया की एकमात्र ऐसी ताकत है जो बिना डर के, जहां जरूरत हो वहां अपनी मौजूदगी दर्ज कराती है। इसके साथ ही उन्होंने पश्चिमी देशों की नौसेनाओं को “कास्त्राती” करार दिया यानी ऐसी शक्तियाँ जो साहसहीन होकर केवल प्रतीकात्मक उपस्थिति बनाकर रखती हैं।
यह बयान ऐसे समय पर आई है जब दक्षिण चीन सागर में स्थित स्कारबोरो शोल के पास दो चीनी युद्धपोत आपस में टकरा गए। ये जहाज उस समय फिलीपींस के एक तटरक्षक पोत का पीछा कर रहे थे जो मछुआरों को सहायता देने निकला था। लॉक्सिन ने कहा कि चीन की धमकियों के बावजूद भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जो किसी सैन्य गठबंधन का हिस्सा न होते हुए भी फिलीपींस के साथ मिलकर समुद्री गश्त करता है।
लॉक्सिन ने अमेरिका पर तीखा प्रहार करते हुए सवाल किया कि क्या वह फिलीपींस का उसी तरह समर्थन करता अगर आज भी वहाँ के मूल निवासी सत्ता में होते? उन्होंने ‘वुंडेड नी नरसंहार’ का हवाला देते हुए कहा कि भले ही यह घटना इतिहास के पन्नों में दफन हो चुकी हो, लेकिन इसके गहरे असर आज भी महसूस किए जा सकते हैं। लॉक्सिन के अनुसार, पश्चिमी देश अब केवल रणनीतिक समझौतों और कूटनीतिक विवशताओं में उलझकर रह गए हैं, जबकि ठोस कदम उठाने से बचते हैं।
3 और 4 अगस्त को वेस्ट फिलीपीन सागर में हुए भारत-फिलीपींस संयुक्त नौसैनिक अभ्यास में भारत की ओर से आईएनएस दिल्ली, आईएनएस शक्ति और आईएनएस किल्टन ने हिस्सा लिया। फिलीपींस की ओर से बीआरपी जोस रिजाल और बीआरपी मिगुएल मालवर तैनात किए गए। इस अभ्यास में हवाई सुरक्षा, संचार प्रणाली का परीक्षण, युद्धाभ्यास ड्रिल्स और पनडुब्बी रोधी गतिविधियाँ शामिल थीं।
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यह अभ्यास फिलीपींस के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में किया गया, जिस पर चीन लगातार दावा करता आया है। अभ्यास के दौरान चीन की पीएलए नौसेना के दो युद्धपोत निगरानी करते देखे गए, लेकिन कोई सीधी भिड़ंत नहीं हुई। फिलीपींस के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल रोमियो ब्राउनर ने इस अभ्यास को सफल करार दिया और भविष्य में भारत के साथ और गहन सहयोग की आशा जताई।
(एजेंसी इनपुट के साथ)