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ट्रंप के लिए बड़ा सदमा! भारत, चीन और रूस बदलेंगे वैश्विक धुरी? SCO समिट पर दुनिया की नजरें

SCO Summit: पीएम मोदी का चीन दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब पूरी दुनिया अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ नीतियों से जूझ रही है। मोदी के इस चीन दौरे से भारत ने एक कूटनीति की नई बिसात बिछाई है।

  • By मनोज आर्या
Updated On: Aug 31, 2025 | 07:17 AM

नरेंद्र मोदी, व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग, (फाइल फोटो)

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SCO Summit: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात साल बाद चीन के दौरे पर हैं। उनका यह दौरा कोई साधारण नहीं बल्कि वह प्लेटफॉर्म है जहां न केवल एशिया, बल्कि दुनिया की राजनीतिक संतुलन की नई कहानी लिखी जा रही है। शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए पीएम मोदी, चीन के तिआनजिन पहुंचे तो बड़े ही धूम-धाम से उनका स्वागत हुआ।

शंघाई सहयोग संगठन से अलग प्रधानमंत्री मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। इस दौरान राष्ट्रपति पुतिन के दिसंबर में प्रस्तावित भारत दौरे को लेकर भी बातचीत हो सकती है।

अमेरिकी टैरिफ के बीच भारत की कूटनीति बिसात

पीएम मोदी का चीन दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब पूरी दुनिया अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ नीतियों से जूझ रही है। ट्रंप के 50 प्रतिशत टैरिफ के बाद प्रधानमंत्री मोदी के इस चीन दौरे से भारत ने एक कूटनीति की नई बिसात बिछाई है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक और पुतिन के साथ वन-टू-वन बातचीत से यह होगा कि दुनिया किस धुरी के इर्द-गिर्द घुमेगी। जिसे दुनिया की कूटनीति का नया अध्याय के रूप में देखा जा रहा है।

यूक्रेन युद्ध ने दुनिया को दो गुटों में बांट दिया है

गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने पूरी दुनिया को दो गुटों में बांट दिया है। रूस से पश्चिम दूर जा चुका है। अमेरिका के साथ पहले से ही रिश्ते में कड़वाहट रही है। ऐसे में एससीए के मंच से रूस, भारत और चीन, अमेरिका और यूरोप दोनों को साफ संदेश देने में कामयाब रहेंगे। हालांकि, कहानी यह खत्म नहीं होती। इस समिट के इतर पुतिन और मोदी के बीच भी बैठक तय है। वहीं, पीएम मोदी और शी जिनपिंग की द्विपक्षीय बातचीत पर भी दुनिया की नजर टिकी रहेंगी। दोनों नेता चीन की धरती पर 7 साल बाद एक साथ बैठेंगे।

निर्णायक खिलाड़ी की भूमिका में भारत

हालांकि, इन सभी कार्यक्रमों के बीच सवाल उठता है कि क्या एशिया की धुरी में भारत, चीनी और रूस एक साथ आ सकते हैं। क्या इस दौरे से अमेरिका के साथ रिश्ते बदल जाएंगे? क्या लद्दाख, डोकलाम से लेकर अरुणाचल तक लंबे समय से बॉर्डर क्षेत्र में जारी तनाव खत्म होगा। या फिर हमेशा की तरह मोदी कूटनीति का वही मंत्र अपनाएंगे कि न किसी के खिलाफ, न किसी के साथ, बल्कि सबके साथ। वैश्विक राजनीतिक का असली गेम यही है। 21वीं सदी का नया केंद्र अब वाशिंगटन या मास्को नहीं बल्कि एशिया है। तिआनजिन में मोदी की मौजूदगी इस बात का सबूत है कि भारत अब सिर्फ दर्शन नहीं बल्कि एक निर्णायक खिलाड़ी की भूमिका निभाना चाहता है।

ये भी पढ़ें: SCO समिट में पुतिन से मुलाकात के पूर्व PM की जेलेंस्की से बात, बोले- शांति के लिए भारत का पूरा साथ

SCO में कुल कितने देश?

शंघाई सहयोग संगठन में 10 सदस्य देश हैं- चीन, भारत, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और बेलारूस। बेलारूस आधिकारिक तौर पर जुलाई 2024 में 10वें सदस्य के रूप में शामिल हुआ। चीन की अपनी यात्रा से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के प्रतिष्ठित अखबार ‘योमिउरी शिंबुन’को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि भारत और चीन के बीच स्थिर और सौहार्दपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों का क्षेत्रीय और वैश्विक शांति एवं समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इस वक्त दुनिया यह देख रही है कि भारत की रणनीति क्या है?

India russia and china together change the global axis world eyes on tianjin sco summit

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Published On: Aug 31, 2025 | 07:17 AM

Topics:  

  • Narendra Modi
  • SCO Summit
  • Vladimir Putin
  • Xi Jinping

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