रायसीना मेडिटेरेनियन 2025 में विदेश मंत्री एस जयशंकर (फोटो- सोशल मीडिया)
पेरिस: फ्रांस के मार्सेई में आयोजित ‘रायसीना मेडिटेरेनियन 2025’ सम्मेलन में विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने भारत‑यूरोपीय संघ संबंधों का ऐसा खाका रखा जिसने सभागार को चौंका दिया। उन्होंने कहा कि आज की बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में यूरोप अपनी चुनौतियों और समाधानों को पहचान रहा है, और यही क्षण नई साझेदारियां गढ़ने का अवसर है। भारत ऐसे सहयोगियों की खोज में है जो समान सोच रखते हों और वैश्विक मंचों पर साथ चल सकें। यह दृष्टिकोण द्विपक्षीय व्यापार को गति देगा और रणनीतिक सुरक्षा सहयोग को मजबूत आधार देगा।
जयशंकर के अनुसार हाल ही में भारत‑ईयू मुक्त व्यापार वार्ताओं में ‘क्वांटम‑जंप’ हुआ है, शुल्क कटौती, बाजार पहुंच और डिजिटल व्यापार रूपरेखा पर लगभग सहमति बन चुकी है। समानांतर रूप से, दोनों पक्ष एक व्यापक रक्षा‑सुरक्षा साझेदारी को अंतिम रूप दे रहे हैं, जिसके तहत उन्नत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, संयुक्त सैन्य अभ्यास और हिंद‑प्रशांत में समुद्री स्थिरता को साझा रूप से साधने की योजना है। ये कदम बहुध्रुवीय दुनिया में विश्वसनीय सहयोग की बुनियाद रखेंगे।
VIDEO | France: Here’s what EAM S. Jaishankar (@DrSJaishankar) said about India-European Union relations while addressing the Raisina Mediterranean 2025 conference:
“The reason why we are putting so much focus on Europe is that we can see there is a quantum jump in… pic.twitter.com/eRkDbPDIbZ
— Press Trust of India (@PTI_News) June 13, 2025
क्यों बढ़ा यूरोप का महत्त्व
जयशंकर ने कहा, यूरोप अब अपनी चुनौतियों‑समाधानों का मूल्यांकन खुद कर रहा है। इस ‘आत्म‑मंथन’ से वह बहुध्रुवीय विश्व में नई भूमिका तलाश रहा है। भारत इसे साझेदारी का अवसर मानता है, क्योंकि समान लोकतांत्रिक मूल्य और बाजार‑केंद्रित सोच दोनों देशों को करीब लाती है।
एफटीए वार्ता का मौजूदा स्तर
मुक्त व्यापार समझौते पर 2024 से वार्ताएं चल रही हैं। शुल्क घटाने के साथ‑साथ बौद्धिक संपदा, डिजिटल लेन‑देन और हरित प्रौद्योगिकी निवेश जैसे मुद्दों पर लगभग सहमति बन गई है। समझौते के लागू होते ही 2026 तक द्विपक्षीय व्यापार 30% बढ़ने की उम्मीद है।
रक्षा‑सुरक्षा करार की झलक
योजना के मुताबिक भारत और यूरोपीय संघ जल्द ‘संयुक्त सुरक्षा ढांचा’ अपनाएंगे। इसमें उन्नत समुद्री जागरूकता, साइबर खतरे‑रोधी तंत्र और स्वदेशी‑विदेशी कंपनियों के संयुक्त उत्पादन को प्राथमिकता मिलेगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह करार इंडो‑पैसिफिक में शक्ति‑संतुलन को भारत‑ईयू पक्ष में मोड़ेगा।
सम्मेलन में मौजूद कूटनीतिक सूत्रों का मानना है कि जून‑अंत तक एफटीए मसौदा सार्वजनिक टिप्पणी के लिए जारी हो सकता है, जबकि सुरक्षा करार पर वर्ष के अंत तक हस्ताक्षर संभव हैं। जयशंकर ने कहा, अब गेंद यूरोप के पाले में है, हम अगले कदम के लिए तैयार हैं।