फिलीपींस ने एक और रक्षा समझौते की तैयारी शुरू की, टेंशन में चीन, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: फिलीपींस ने ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के बाद अब भारत के साथ एक और रक्षा समझौते की तैयारी शुरू कर दी है। दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों को चुनौती देने के लिए वह लगातार अपनी सैन्य ताकत को मजबूत कर रहा है। इसी के तहत फिलीपींस भारत के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को और गहराने की दिशा में तेजी से कदम उठा रहा है। गौर करने वाली बात है कि फिलीपींस और चीन के बीच समय-समय पर तनाव बना रहता है।
IDRW की रिपोर्ट के अनुसार, फिलीपींस इस वर्ष भारत से सतह से हवा में मार करने वाला आकाश मिसाइल सिस्टम (SAM) खरीदने की योजना बना रहा है। यह सौदा लगभग 200 मिलियन डॉलर का हो सकता है। इससे पहले, साल 2022 में फिलीपींस ने भारत से 375 मिलियन डॉलर की ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली खरीदी थी। अब वह एक और बड़े रक्षा समझौते की दिशा में अग्रसर है।
India Set to Seal Akash Deal with Philippineshttps://t.co/Qzd0ahwL59 pic.twitter.com/4fHiJywBUn
— idrw (@idrwalerts) April 5, 2025
फिलीपींस की योजना है कि आकाश मिसाइल सिस्टम को खरीदकर वह दक्षिण चीन सागर में अपनी सैन्य क्षमता को और अधिक सशक्त बना सके। हालांकि फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि यह प्रणाली फिलीपींस की नौसेना, थलसेना या वायुसेना के लिए खरीदी जा रही है। फिर भी, यह सौदा भारत और फिलीपींस के बीच इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के बीच उनकी गहराती रणनीतिक साझेदारी को दर्शाता है।
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यह उल्लेखनीय है कि दक्षिण चीन सागर को लेकर फिलीपींस और चीन के बीच गहरा तनाव बना हुआ है। इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती दखलअंदाजी के जवाब में फिलीपींस ने भारत से ब्रह्मोस मिसाइलें खरीदी और तैनात की हैं, जिससे चीन की नाराजगी खुलकर सामने आई थी।
वहीं भारत ने भी चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों को देखते हुए ‘आकाश’ मिसाइल प्रणाली को विकसित किया है। इस शक्तिशाली सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) ने मिलकर तैयार किया है। यह प्रणाली लड़ाकू विमान, क्रूज मिसाइल और ड्रोन जैसे विभिन्न हवाई खतरों को प्रभावी ढंग से नष्ट करने में सक्षम है। इसकी मारक सीमा 25 किलोमीटर तक है और यह 2.5 मैक की सुपरसोनिक गति से अपने लक्ष्य को सटीकता से भेद सकती है।
भारत ने इसे विशेष रूप से चीन की चुनौती को ध्यान में रखते हुए विकसित किया है, जिससे भारतीय थल सेना और वायु सेना की रणनीतिक ताकत में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी हुई है।