नेपाली छात्र बिपिन जोशी का पार्थिव शरीर काठमांडू लाया गया (सोर्स- सोशल मीडिया)
Israel-Hamas War: इजरायल में हमास हमले में मारे गए नेपाली छात्र बिपिन जोशी का पार्थिव शरीर सोमवार को नेपाल लाया गया। जोशी कंचनपुर जिले की भीमदत्त नगरपालिका के निवासी थे और ‘लर्न एंड अर्न’ कार्यक्रम के तहत कृषि प्रशिक्षण के लिए इजरायल गए थे। हमले के दौरान आतंकियों ने उन्हें अगवा कर लिया था।
हमले के बाद कई महीनों तक जोशी के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी। नेपाल सरकार ने इजरायली अधिकारियों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से लगातार संपर्क बनाए रखा, लेकिन उनकी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई। अंततः 10 अक्टूबर 2023 को इजरायली अधिकारियों ने पुष्टि की कि जोशी हमले में मारे गए थे।
इजरायली मीडिया के मुताबिक, 2024 की शुरुआत में इजरायल और हमास के बीच हुए संघर्षविराम और कैदी विनिमय समझौते के दौरान हमास ने जोशी का शव इजरायली सेना को सौंपा। इसके बाद पहचान की पुष्टि होने पर शव को नेपाल भेजने की प्रक्रिया शुरू हुई।
शव नेपाल लाए जाने से पहले इजरायल में दो श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किए गए। पहला, तेल अवीव के खतिवा 8 स्मारक पर और दूसरा, बेन गुरियन एयरपोर्ट पर। ताबूत को नेपाल के राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा गया था और नेपाली दूतावास के प्रतिनिधियों एवं इजरायली अधिकारियों की मौजूदगी में विदाई दी गई।
सोमवार को जब ताबूत त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पहुंचा, तो नेपाल सरकार की ओर से आधिकारिक श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया। इस मौके पर अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की, विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। प्रधानमंत्री कार्की ने ताबूत पर पुष्पचक्र अर्पित कर जोशी के साहस और बलिदान को याद किया।
Bipin Joshi’s body just arrived at Dhangadi Airport by Nepal Army Sky Truck. He will never be forgotten. #Remember #BipinJoshi #Joshi pic.twitter.com/76yk0igizV — Krishna Dhungana (@krishnakirtipur) October 20, 2025
कार्की ने कहा कि यह घटना विदेशों में काम करने वाले नेपाली नागरिकों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता को उजागर करती है।इसके बाद जोशी का पार्थिव शरीर कंचनपुर स्थित उनके गृहनगर लाया गया, जहां उनका अंतिम संस्कार स्थानीय प्रशासन, रिश्तेदारों और समुदाय के सदस्यों की उपस्थिति में किया गया।
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जोशी, हमले में मारे गए 10 नेपाली छात्रों में से एक थे, लेकिन अकेले वही बंधक बनाए गए थे। यह घटना नेपाल में शोक और आक्रोश का कारण बनी और विदेशों में काम करने वाले नेपाली नागरिकों की सुरक्षा को लेकर सरकार से ठोस कदमों की मांग की गई।