शहबाज शरीफ और बलूच लड़ाके (फोटो- नवभारत डिजाइन)
इस्लामाबादः आतंक का गढ़ बन चुके पाकिस्तानी छप्पर में उसी के चूल्हे की आग लग गई है। भारत के खिलाफ तरह-तरह की साजिशें रचने वाला पाकिस्तान दो टुकड़ों में बंटने के कगार पर पहुंच गया है। सरकार की उपेक्षा, सेना का अत्याचार और संसाधनों की लूट से त्रस्त बलूची जनता अब खुद को पाक्सितान से अलग मानने लगी है। यही वजह है कि विरोध के स्वर तेज होते जा रहे हैं। आज बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट ने जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाईजैक कर लिया।
डॉन न्यूज के मुताबिक ट्रेन में करीब 500 यात्री सवार हैं, जिन्हें बंधक बनाया गया है। इसके साथ ही बलूच लड़ाकों द्वारा हाईजैक की जिम्मेदारी लेते हुए पाकिस्तान को धमकी दी गई है कि यदि हवाई हमले किए गए तो 100 बंधकों जान से मार देंगे।
जानकारी के मुताबिक यह हमला माछ इलाके में गुडलार और पीरोकरी के बीच हुआ, जहां ट्रेन को रोककर उस पर गोलीबारी की गई। फायरिंग में ट्रेन का ड्राइवर घायल हो गया। हमले के बाद सुरक्षाबलों को तुरंत मौके पर भेजा गया और सभी अस्पतालों में आपातकाल घोषित कर दिया गया। पाकिस्तानी आर्मी के जवानों ने एक ऑपरेशन करके ट्रेन को फ्री कराने की कोशिश की, लेकिन बलूच लड़ाकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया। बलूच लिबरेशन द्वारा बताया कि इस गोलीबारी में हमने 20 पाक जवानों को मार गिराया है।
एक बार ऑपरेशन फेल होने के बाद पाकिस्तान असहाय नजर आ रहा है। हालांकि लगातार बलूच लिबरेशन आर्मी व हाईजैकरों से संपर्क करने की कोशिश की जा रही है। इस हाईजैक से बलूचिस्तान के अलगाववादी गुट को संबल मिला है। वहीं पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है।
बलूचिस्तान में हालात बदतर होते जा रहे हैं। स्थानीय लोगों को आए दिन पाकिस्तानी सेना के दमन का सामना करना पड़ता है। जबरन गुमशुदगी, फर्जी मुठभेड़ और संसाधनों की लूट ने बलूचों को अपनी ही जमीन पर बेगाना बना दिया है। यही कारण है कि अब यहां आजादी के स्वर और बुलंद हो रहे हैं। बलूच लिबरेशन आर्मी अलग देश की मांग कर रहा है। यह मांग समय-समय पर तेज होती रहती है।
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इन हालातों में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या बलूचिस्तान पाकिस्तान से अलग होगा? बलूचिस्तान लंबे समय से पाकिस्तान के लिए सिरदर्द बना हुआ है। इस क्षेत्र में अलगाववादी आंदोलन तेज हो रहे हैं और यहां के लोग इस्लामाबाद से अलग अपनी स्वतंत्र पहचान चाहते हैं। हाल ही में पाकिस्तान सरकार ने क्वेटा-पेशावर रेल सेवा को डेढ़ महीने के बाद फिर से शुरू किया था, लेकिन यह हमला दिखाता है कि बलूचिस्तान में स्थिति अब भी बेहद तनावपूर्ण बनी हुई है।
बता दें कि यह पहला हमला बलूच लिबरेशन फ्रंट द्वारा नहीं किया गया है। इससे पहले नवंबर 2024 में क्वेटा रेलवे स्टेशपर आत्मघाती हमला हुआ था। इसमें 26 लोगों की मौत हो गई थी और 62 लोग घायल हुए थे।