सांकेतिक तस्वीर (सोर्स- सोशल मीडिया)
नवभारत डेस्क: एक तरफ भारत में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में ना’पाक आतंकियो द्वारा पर्यटकों पर बर्बर हमल के की भयावह तस्वीर दुनिया के सामने है। चारों तरफ इसकी निंदा हो रही है। हर एक देश भारत के साथ खड़ा दिख रहा है। वहीं दूसरी ओर अफ्रीकी देश नाइजीरिया में मुस्लिम फुलानी समूह लगातार ईसाइयों का नरसंहार कर रहा है। शनिवार को भी यहां बंदूकधारियों ने 20 लोगों की जान ले ली।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस हमले में बंदूकधारियों ने पहले सोने की खदान को निशाना बनाकर 14 मजदूरों की जान ली इसके बाद उन्होंने एक मस्जिद में भी हमला किया। इस घटना में 20 लोगों के मारे जाने के साथ-साथ कई लोगों के घायल होने की ख़बर है।
नाईजीरिया में इस तरह के हमला नया नहीं है। यहां धार्मिक नरसंहार एक लंबे अरसे से चला आ रहा है। जेनोसाइड वॉच पोर्टल के अनुसार 27 मार्च से 13 अप्रैल तक कुल 126 ईसाइयों की हत्या की गई है, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। इस वेबसाइट की मानें इन हत्याओं में 27 मार्च को रुवी गांव में एक अंतिम संस्कार जुलूस में शामिल लोगों की हत्या और 19 वर्षीय महिला के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना शामिल है।
नाइजीरिया के पठार राज्य में नाइजीरियाई सेना की शांति सेना की मौजूदगी के बावजूद इन ईसाई समुदायों पर अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। जेनोसाइड वॉच के अनुसार, क्रिश्चियन सॉलिडेरिटी इंटरनेशनल के अध्यक्ष डॉ. जॉन एबनर ने कहा, “नाइजीरिया के विशाल और अच्छी तरह से वित्तपोषित सुरक्षा तंत्र द्वारा कोई प्रभावी हस्तक्षेप नहीं किया गया है और कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है।”
इससे भी अधिक भयावह बात यह है कि लगभग सभी हत्याएं कुल्हाड़ी से सिर काटकर की गई हैं। सात वर्षीय बच्चे नेन्चे स्टीवंस की भी कुल्हाड़ी से गला काटकर हत्या करने का प्रयास किया गया। स्टीवंस के पिता की 13 अप्रैल को हत्या कर दी गई और फिर उसकी मां के हाथ कुल्हाड़ी से काट दिए गए और उसके दो भाई-बहनों को भी मार दिया गया। उसके गले पर भी कुल्हाड़ी से वार किया गया। लेकिन वह किसी तरह बच गया।
मुस्लिम फुलानी समूह 2018 से नाइजीरिया के उपजाऊ मध्य प्रांत पर हमला कर रहा है। वह उनकी जमीनों पर कब्जा कर रहा है और लोगों को वहां से भगा रहा है। फ्रांस 24 पोर्टल के अनुसार, पिछले सप्ताह भी नाइजीरिया के बेन्यू राज्य में बंदूकधारियों ने कम से कम 56 लोगों की हत्या कर दी है।
फुलानी आतंकी समूह (सोर्स- सोशल मीडिया)
मध्य नाइजीरिया में भूमि उपयोग को लेकर चरवाहों और किसानों के बीच झड़पें आम बात हैं। चूंकि चरवाहे ज़्यादातर मुस्लिम फुलानी समूह से हैं और किसान ईसाई समुदाय से हैं, इसलिए यह संघर्ष धार्मिक संघर्ष या नरसंहार में बदल जाता है। इस महीने ही 100 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं।
24 मार्च, 2025: फुलानी चरमपंथियों ने 19 वर्षीय महिला का अपहरण कर लिया और फिर ताहोस में चार दिनों तक उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया।
2 अप्रैल, 2025: बोक्कोस एलजीए के हुरती समुदाय के 15 गांवों पर संदिग्ध फुलानी चरमपंथियों ने एक साथ हमला किया, जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं और बच्चों सहित 56 लोगों की मौत हो गई। 28 घायल हो गए और 5,000 से ज़्यादा लोग अपने घरों से भागकर दूसरे इलाकों में चले गए।
6 अप्रैल, 2025: रियोम एलजीए में डबवाम के इमैनुएल दाऊ फुलानी चरमपंथियों के हमले में घायल हो गए। उसी दिन, जोस साउथ एलजीए में व्वांग जिले में फाविल समुदाय के श्री बिट्रस ग्यांग म्वांजा पर फुलानी चरमपंथियों ने हमला कर उनकी हत्या कर दी।
10 अप्रैल, 2025: रियोम एलजीए में तंजोल के ग्यांग दानबवारंग और जोशुआ म्वागवोंग फुलानी चरमपंथियों के हमले में घायल हो गए।
12 अप्रैल, 2025: रियोम एलजीए में वारेंग समुदाय के डैनियल म्वांटी पर फुलानी चरमपंथियों ने हमला कर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी। फुलानी चरमपंथियों के लोगों ने इशाया दानबवारंग के खेत की फसलों को भी नष्ट कर दिया। 13 अप्रैल को फुलानी चरमपंथियों ने बेई की लीलिया ग्यांग की फसलों को नष्ट कर दिया।
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13 अप्रैल, 2025: हथियारबंद फुलानी चरमपंथियों ने बासा एलजीए के क्वाल जिले में किमाकपा समुदाय के ज़िके गांव पर हमला किया, जिसमें 56 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 15 बच्चे थे। 9 लोग घायल हुए और 2,000 से ज़्यादा लोग विस्थापित हो गए। 103 घर पूरी तरह से नष्ट हो गए।
जेनोसाइड वॉच की ही एक रिपोर्ट के अनुसार, 2000 से अब तक यानी पिछले 25 सालों में लगभग 62,000 नाइजीरियाई ईसाई मारे जा चुके हैं। यह रिपोर्ट न केवल नाईजीरिया में हो रहे नरसंहार को उजागर करती है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार और यूएन जैसी संस्थाओं की कार्यशैली पर भी प्रश्नचिन्ह खड़े करती है।