आरजी कर अस्पताल बलात्कार और हत्या केस, (फाइल फोटो)
कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार और सीबीआई दोनों ने आरजी कर अस्पताल बलात्कार-हत्या मामले के दोषी संजय रॉय को मौत की सजा सुनाने के अनुरोध के साथ कलकत्ता हाई कोर्ट का रुख किया है। हालांकि, पीड़िता के माता-पिता के वकील ने दावा किया कि परिवार उसके लिए मृत्युदंड नहीं चाहता। अपीलों पर सुनवाई समाप्त होने के बाद हाई कोर्ट परिसर के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए पीड़िता के माता-पिता की वकील गार्गी गोस्वामी ने दावा किया कि वे चाहते हैं कि मामले में अन्य आरोपियों के खिलाफ सुनवाई की प्रक्रिया बिना किसी देरी के शुरू हो। गोस्वामी ने कहा कि मैंने पीड़िता के माता-पिता से कई बार बात की। उनका मानना है कि उनकी बेटी की हत्या में शामिल सभी लोगों को सिर्फ इसलिए मृत्युदंड नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने उसकी हत्या की है। वे चाहते हैं कि निचली अदालत द्वारा दोषी को दी गई सजा पर रोक लगाई जाए।
वकील ने कहा कि वे यह भी चाहते हैं कि जांच एजेंसी मामले में शामिल अन्य आरोपियों के खिलाफ जल्द से जल्द आरोप पत्र दायर करे और बिना और देरी के मुकदमा शुरू करे। माता-पिता ने इस जघन्य अपराध में की गई जांच से संबंधित कई सवाल उठाए हैं और अपराध के संभावित सरगना को बचाने के प्रयासों के साथ-साथ एक बड़ी साजिश का दावा करते हुए हस्तक्षेप के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इस मामले में बुधवार को सुनवाई हो सकती है।
बता दें कि सियालदह के सत्र न्यायालय ने पिछले वर्ष नौ अगस्त को आरजी कर अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात ट्रेनी डॉक्टर से बलात्कार और उसकी हत्या के एकमात्र दोषी संजय रॉय को 20 जनवरी को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सोमवार को न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने राज्य सरकार और सीबीआई दोनों का पक्ष सुना। दोनों का कहना है कि सियालदह अदालत का आदेश अपर्याप्त है। उन्होंने सजा को चुनौती देते हुए आरोपी संजय रॉय को मौत की सजा सुनाने की अपील की। उच्च न्यायालय ने पीड़ित परिवार की मौजूदगी में दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रखा।
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पीड़िता के पिता ने बाद में मीडिया से बातचीत में कहा कि हम चाहते हैं कि अपराध में शामिल और बड़ी साजिश का हिस्सा रहे सभी लोगों को कानून के अनुसार कठोरतम सजा मिले। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें अब भी सीबीआई पर भरोसा है, तो उन्होंने कहा कि कोलकाता पुलिस ने खामियों से भरी जांच करके हमें निराश किया है। इसलिए उच्च न्यायालय ने जांच सीबीआई को सौंप दी। निचली अदालत के फैसले से यह स्पष्ट है कि सीबीआई भी अपना काम ठीक से करने में विफल रही। हमें नहीं पता कि हमें किस पर भरोसा करना चाहिए। हम उस संस्था पर भरोसा रखेंगे जो हमें उचित न्याय दिलाएगी।