राज्यपाल सीवी आनंद बोस व पश्चिम बंगाल के संसदीय कार्य मंत्री सोवनदेब चट्टोपाध्याय (सोर्स- सो. मीडिया)
कोलकाता: तमिलनाडु के बाद अब पश्चिम बंगाल में भी विधेयकों को रोके जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। पश्चिम बंगाल के संसदीय कार्य मंत्री सोवनदेब चट्टोपाध्याय ने विधेयकों को रोके जाने को लेकर राज्यपाल सीवी आनंद बोस को घेरा है। संसदीय कार्य मंत्री सोवनदेब चट्टोपाध्याय ने कहा कि राज्यपाल को लंबित विधेयकों पर चर्चा के लिए अधिकारियों को बुलाने का कोई अधिकार नहीं है।
उन्होंने कहा कि संविधान में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि राज्यपाल को अनिश्चित काल तक विधेयकों को रोके रखने का अधिकार नहीं है। अगर किसी विधेयक को लेकर कोई कानूनी चिंता है तो राज्यपाल सरकार को लिख सकते हैं। लेकिन संविधान में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा है कि वह अधिकारियों को बुला सकते हैं या चर्चा कर सकते हैं। मैंने संविधान को कई बार पढ़ा है।
क्या है मामला
गुरुवार को राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कहा था कि उन्होंने अपने पास लंबित कुछ विधेयकों को मंजूरी देने से पहले विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की मांग की है। राजभवन ने कहा कि राज्यपाल ने 11 विधेयकों को राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेजा है। उन्होंने कई अन्य विधेयकों पर राज्य सरकार से अतिरिक्त जानकारी मांगी है, लेकिन उन्हें उचित जवाब नहीं मिला है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में राज्यपाल द्वारा विधेयक रोकने पर अपना फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल द्वारा विधेयकों को रोकना मनमाना और अवैध है। इस बारे में बंगाल विधानसभा के स्पीकर बिमान बनर्जी ने कहा कि 2016 से पश्चिम बंगाल विधानसभा द्वारा पारित 23 विधेयकों को राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिली है। मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बंगाल के राज्यपाल भी ऐसा ही करेंगे।
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तमिलनाडु मामले पर सुप्रीम कोर्ट
तमिलनाडु मामले में ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों द्वारा चुनी हुई सरकारों को दरकिनार करने के प्रयास पर कड़ी आपत्ति जताई थी और कहा था कि उन्हें राजनीतिक कारणों से राज्य विधानसभाओं को नियंत्रित नहीं करना चाहिए। राज्यपाल को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह राज्य विधानमंडल के काम में बाधा न डालें या उस पर दबाव न डालें, क्योंकि इससे लोगों की उम्मीदें बाधित हो सकती हैं। उन्हें नागरिकों के प्रति जवाबदेह निर्वाचित सरकार का भी सम्मान करना चाहिए।
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तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर की और इसे ऐतिहासिक बताया। डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करते हैं। यह राज्य विधानसभाओं के विधायी अधिकारों की पुष्टि करते है और केंद्र सरकार द्वारा नामित राज्यपालों की विपक्ष शासित राज्यों में प्रगतिशील विधायी सुधारों को रोकने की प्रवृत्ति को रोकता है।