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भारतीय इंजीनियर ने बताया भारत और यूरोप की वर्क कल्चर में अंतर, यूरोप में काम से ज्यादा इंसान जरूरी

Europe Work Life जर्मनी में काम कर रहे भारतीय इंजीनियर कौस्तव बनर्जी ने इंस्टाग्राम पोस्ट में बताया कि भारत में ओवरवर्क और तनाव भरा माहौल आम है, जबकि यूरोप में पेड लीव और और निजी समय का सम्मान है।

  • By हितेश तिवारी
Updated On: Dec 06, 2025 | 06:28 PM

वायरल वीडियो का स्क्रीनशॉट। (सोर्स - सोशल मीडिया)

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Germany Job Experience : जर्मनी में काम कर रहे भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर कौस्तव बनर्जी इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा में हैं। उन्होंने हाल ही में इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर की, जिसमें भारत और यूरोप की वर्क कल्चर के बीच बड़ा अंतर बताया गया है। “वर्क कल्चर का अंतर” कैप्शन वाली इस पोस्ट में उन्होंने लिखा कि भारत में काम करते समय उनकी प्रोफेशनल लाइफ लगातार दबाव, तेज रफ्तार और तनाव से भरी रहती थी। उनके अनुसार, 2013 में ग्रेजुएशन तक उन्हें “वर्क–लाइफ बैलेंस” का मतलब तक नहीं पता था।

भारत में नौकरी शुरू होने के साथ ही कर्मचारियों से हर दिन 200 प्रतिशत देने की उम्मीद की जाती थी। ओवरवर्क और बर्नआउट जैसे हालात आम थे। उन्होंने कहा कि ऐसे माहौल में अपने स्वास्थ्य, मानसिक शांति और परिवार के लिए समय निकालना लगभग असंभव हो जाता था। यहां तक कि छुट्टियां और कम्पेंसेटरी लीव भी कागजों में ही रह जाती थीं और उन्हें लेना मुश्किल होता था।

भारत में वर्क कल्चर की समस्या

कौस्तव ने बताया कि भारत में काम करने के दौरान उनसे कभी कोई यह नहीं पूछता था कि वे कैसे हैं, बस काम ही सब कुछ माना जाता था। वेकेशन के लिए आवेदन करना भी लड़ाई जैसा लगता था। वीकेंड पर काम करने के बाद मिलने वाली छुट्टियां भी अक्सर इस्तेमाल नहीं हो पाती थीं।

उन्होंने कहा कि भारत की कॉरपोरेट संस्कृति में व्यक्तिगत जीवन को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है और कर्मचारियों के निजी समय में दखल देना सामान्य समझा जाता है। यही कारण है कि कई लोग मानसिक थकान और तनाव का शिकार हो जाते हैं। कौस्तव की पोस्ट के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने भारतीय वर्क कल्चर की समस्याओं पर सहमति जताई और इसे वास्तविक अनुभव बताया।

ये खबर भी पढ़ें : जयमाला से पहले दुल्हन पर ‘भूत’ चढ़ा? दूल्हा घबराया, शादी का वीडियो हुआ वायरल

यूरोप में “काम से ज्यादा इंसान” महत्वपूर्ण

जर्मनी आने के बाद कौस्तव की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया। उन्होंने बताया कि यूरोप में वर्क कल्चर भारत से बिल्कुल अलग है। यहां ऑफिस टाइम खत्म होते ही कर्मचारी पूरी तरह ‘ऑफ’ माने जाते हैं और उनसे न रात में मेल का जवाब देने की उम्मीद की जाती है और न ही वीकेंड पर काम करने की। यूरोप में कर्मचारियों को परिवार, स्वास्थ्य और निजी जीवन के लिए पर्याप्त समय दिया जाता है।

सालाना 25 से 30 दिन की पेड लीव सामान्य है और कंपनियां कर्मचारियों को छुट्टियां पूरी तरह इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, ताकि वे तरोताजा होकर काम पर लौट सकें। कई कंपनियां मानसिक स्वास्थ्य के लिए काउंसलिंग, थेरेपी और सपोर्ट प्रोग्राम भी देती हैं। कौस्तव के अनुसार, यूरोप में “काम से ज्यादा इंसान” महत्वपूर्ण माना जाता है और ओवरवर्क को मेहनत नहीं, बल्कि सिस्टम की खामी समझा जाता है।

Kaustav banerjee india europe work culture difference

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Published On: Dec 06, 2025 | 06:28 PM

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