प्रतीकात्मक फोटो, सोर्स- सोशल मीडिया
Uttarakhand Cloudburst missing People: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में 5 अगस्त को हुए भीषण बादल फटने की घटना के बाद से लापता 67 लोगों को अब मृत घोषित किया जाएगा। हादसे को 51 दिन बीत चुके हैं और अब सरकार ने केंद्र की अनुमति के बाद इन सभी लापता लोगों के मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दे दिया है।
5 अगस्त को दोपहर करीब 1:45 बजे उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में बादल फटने से भारी तबाही मची थी। मात्र 34 सेकेंड में खीरगंगा नदी का रौद्र रूप पूरे गांव को बहा ले गया था। इस हादसे में कई घर, दुकानें और सड़कें पूरी तरह तबाह हो गई थीं। गांव के लोग संभल भी नहीं पाए और पूरा क्षेत्र मलबे में तब्दील हो गया।
हादसे के तुरंत बाद राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया था। प्रशासन और SDRF की टीमें कई दिनों तक खोजबीन करती रहीं, लेकिन 67 लापता लोगों में से किसी का कोई सुराग नहीं मिला। अब लगभग दो महीने बाद सरकार ने उन्हें मृत मानते हुए उनका डेथ सर्टिफिकेट जारी करने का फैसला लिया है।
उत्तराखंड सरकार ने गृह मंत्रालय को लापता लोगों के मृत्यु पंजीकरण के लिए प्रस्ताव भेजा था। अब केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने इसकी अनुमति दे दी है। यह अनुमति 2021 में चमोली जिले के रैणी हादसे की तर्ज पर दी गई है, जहां इसी तरह के प्रावधान के तहत मृतक प्रमाण पत्र जारी किए गए थे।
हालांकि यह प्रक्रिया फौरन पूरी नहीं होगी। लापता व्यक्ति की शिकायत पहले दर्ज करनी होगी, फिर 30 दिनों का सार्वजनिक नोटिस जारी किया जाएगा। यदि इस दौरान किसी तरह की आपत्ति दर्ज नहीं होती, तो ही संबंधित व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि इस प्रक्रिया के लिए उपजिलाधिकारी को अभिहित अधिकारी और जिलाधिकारी को अपीलीय अधिकारी नामित किया गया है। यह कार्य जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के प्रावधानों के अंतर्गत किया जाएगा।
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सरकार के इस निर्णय से उन परिवारों को राहत मिलेगी जिनका कोई सदस्य इस त्रासदी में लापता हुआ था। मृत्यु प्रमाण पत्र मिलने के बाद वे सरकारी मुआवजा, बीमा क्लेम और अन्य आर्थिक सहायता के पात्र हो सकेंगे। अब तक सिर्फ “लापता” की स्थिति में उन्हें कोई अधिकारिक लाभ नहीं मिल पा रहा था।