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लखनऊ: मुल्क के सबसे बड़े सूबे की सियासत भी सबसे बड़ी होना लाज़मी है। यहां अगर किसी एक दिन राजनीति से जुड़ी कोई बड़ी ख़बर सामने न आए तो लगता है कि कुछ अधूरा सा है। चाय की चौपाटी पर चर्चा में अगर सियासत मुद्दा न बने तो उसे सूरज के बिना लाल हुए सांझ ढलने की संज्ञा दी जाती है। पर ऐसा न तो मुमकिन है, न ही कभी देखने को मिलता है। गुरुवार को भी यहां की सियासत से जुड़ी एक ऐसी ही ख़बर सामने आई। ख़बर का आधार सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर का बयान है। जिसके बाद लोगों को चौपाटी पर चर्चा का विषय मिल गया है और हमें आप तक पहुंचाने के लिए कहानी।
भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर बुधवार, 29 अगस्त को अतरौलिया विधानसभा पहुंचे। वहां उन्होंने कार्यकर्ताओं को पंचायत चुनाव को लेकर दिशा निर्देश दिए। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम पूरे प्रदेश में आगामी पंचायत चुनाव की तैयारी में जुटे हैं। गांव-गांव में लोगों को भेजकर तरीका सीख रहे हैं, कोई भी नेता चुनाव लड़ रहा है तो उसका तरीका सीखा रहे हैं, ताकि हम अभी से चलते रहेंगे तो लोगों में आपसी भाईचारा बना रहेगा, लोग आपस में जुड़ेंगे।
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अब सूबे में जब उपचुनाव का माहौल चल रहा है ऐसे में पंचायत चुनाव जो कि करीब 1.5 साल बाद होना है आप उसकी तैयारी करोगे तो बातें तो बनेंगी। लेकिन राजभर के साथ एक बात यह बड़ी अच्छी है कि वह बातें बनने से पहले अपने बारे में खुद ही बातें बना लेते हैं। जिसे कुछ एक लोग तो ‘आत्मनिर्भर’ अभियान का हिस्सा भी बताते हैं। दरअसल, राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि सुभासपा को भाजपा ने हाशिए पर कर दिया है। यही वजह है कि उपचुनाव में उसे एक भी सीट न देने की बातें हो रही हैं।
इस बात का जवाब भी राजभर ने दे दिया। उन्होंने कहा कि हम एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। हमें सीटें नहीं चाहिए। जो लड़ेगा, हम उसे जिताएंगे। अधिकारियों और कर्मचारियों के मनमाने रवैये पर उन्होंने कहा कि आखिर अधिकारी किसी की बात क्यों नहीं सुनते, आखिर वे हमारी बात क्यों नहीं सुनते, हम उन्हें बताते हैं और वे सुनते हैं। दस विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि एनडीए गठबंधन के सभी सहयोगियों ने बूथ स्तर से लेकर सेक्टर स्तर तक संगठन को दुरुस्त कर लिया है और हम भी इंतजार कर रहे हैं कि जल्द ही चुनाव की घोषणा हो और लोगों के दिलों में जो संशय है, वह खत्म हो।
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राजभर के इस बयान के बाद राजनीतिक हल्कों में लोमड़ी और अंगूर वाली कहानी कही और सुनाई जाने लगीं। चाय की चौपाटियों पर इकट्ठा होने वाले राजनीतिक विश्लेषकों ने कह दिया कि राजभर के लिए ‘अंगूर खट्टे हैं’ वाला हाल हो गया है। एनडीए ने एक भी सीट नहीं ऑफर की तो वह कहने लगे कि हमें सीटें नहीं चाहिए। फिलहाल, अब बात निकली है तो दूर तक जाएगी। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि जब यह बात राजभर तक पहुंचती है तो वह इस पर क्या कुछ रिएक्शन देते हैं।