सुप्रीम कोर्ट(फोटो- सोशल मीडिया)
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उन्नाव बलात्कार पीड़िता की CRPF सुरक्षा वापिस लेने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अभी खतरे की आशंका है। हालांकि इससे पहले जस्टिस बेले एम त्रिवेदी और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने पीड़िता के परिवार के सदस्यों व अन्य गवाहों की दी गई CRPF सुरक्षा वापिस ले ली। कोर्ट के मुताबिक आरोपी पर दोष सिद्ध हो गया है, जिसके कारण अब अन्य लोगों को सुरक्षा की अवश्यकता नहीं है।
सुरक्षा वापिस लेने से मना करते हुए हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “हमारा मानना है कि इस न्यायालय द्वारा संबंधित व्यक्तियों को प्रासंगिक समय पर दी गई सुरक्षा जारी नहीं रखी जा सकती, क्योंकि मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। हालांकि हम यह स्पष्ट करते हैं कि इस न्यायालय के अगले आदेश तक पीड़िता के लिए सीआरपीएफ सुरक्षा जारी रहेगी।”
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, कोर्ट ने आगे कहा कि पीड़िता के किसी परिजन या केस से जुड़े गवाहों को कोई खतरा महसूस होता है तो नजदीकी पुलिस थाने में संपर्क कर सकते हैं। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने आरोपी की दोष सिद्धि के बाद सुरक्षा कवर वापस लेने की अनुमति मांगी।
बता दें कि केंद्र सरकार ने 2019 में कोर्ट के आदेश पर दी गई CRPF सुरक्षा वापिस लेने की मांग को लेकर एक याचिका दायर की थी। उत्तर प्रदेश के उन्नाव में 2017 में नाबालिग लड़की से बलात्कार के आरोप में निष्कासित भाजपा नेता कुलदीप सेंगर जेल में अजीवन कारावास की सजा काट रहा है।
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शीर्ष न्यायालय ने 1 अगस्त, 2019 को बलात्कार पीड़िता, उसकी मां, परिवार के अन्य सदस्यों और उनके वकील को सीआरपीएफ द्वारा सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया था। बलात्कार की घटना के संबंध में दर्ज सभी पांच मामलों को शीर्ष अदालत ने लखनऊ से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया था और एक निर्दिष्ट विशेष अदालत को निर्देश दिया था कि वह रोजाना सुनवाई करे और 45 दिनों के भीतर उन्हें पूरा करे।
कोर्ट ने मामले में कुलदीप सेंगर को दोषी करार देते हुए पीड़िता को 25 लाख मुआवजा दिलवाया था। उम्रकैद की सजा काट रहे कुलदीप सेंगर की तरफ से निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है, जिसमें उसे उम्र कैद की सजा दी गई है।