शुक्रतीर्थ धर्म संसद योगी को पीएम बनाने का प्रस्ताव पारित (फोटो- सोशल मीडिया)
Shukratirtha Dharma Sansad Yogi PM Demand: मुजफ्फरनगर के ऐतिहासिक महाभारतकालीन तीर्थ स्थल शुक्रतीर्थ में रविवार को एक भव्य सनातन धर्म संसद का आयोजन हुआ। हिंदू संघर्ष समिति द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में देश भर से आए साधु-संतों, साध्वियों और लगभग 38 हिंदू संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। यहां केवल चर्चा ही नहीं हुई बल्कि देश के भविष्य को लेकर 12 महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी पारित किए गए। इस धर्म संसद में उठी मांगों ने सियासी हलकों में हलचल बढ़ा दी है, जिसमें भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करना और कड़े जनसंख्या कानून लाना मुख्य मुद्दे रहे।
इस विशाल कार्यक्रम की अध्यक्षता महामंडलेश्वर स्वामी केशवानंद सरस्वती महाराज ने की। संसद में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया गया कि गौ माता को राष्ट्रीय माता का दर्जा मिले और समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी को देश में जल्द से जल्द लागू किया जाए। संतों ने दो से अधिक बच्चों वाले परिवारों की सरकारी सुविधाएं बंद करने और जनसंख्या नियंत्रण पर कठोर कानून बनाने की पुरजोर वकालत की। संतों का कहना था कि कानून का उल्लंघन करने वालों पर कठोर दंड का प्रावधान होना चाहिए।
महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद जी महाराज ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि 1984 में आपातकाल के दौरान संविधान में सेकुलरवाद शब्द जोड़ा गया था। इसे हटाने और भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने के लिए यदि एक बार फिर आपातकाल लगाना पड़े तो लगाना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा रूस के राष्ट्रपति पुतिन को गीता भेंट करने का जिक्र करते हुए कहा कि गीता के साथ गौ माता भी भेंट की जानी चाहिए। वहीं, मुस्लिम सनातनी नाजिया इलाही खान ने भी मंच से हिंदुत्व का समर्थन किया। उन्होंने मौलाना अरशद मदनी और महमूद मदनी पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि आज कुछ लोग जिहाद सीखा रहे हैं, इसलिए हिंदुओं को अब जागना ही होगा।
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धर्म संसद में धार्मिक स्थलों की सुरक्षा, उनके मूल स्वरूप की पुनर्स्थापना और सांस्कृतिक धरोहरों को बचाने पर भी जोर दिया गया। स्वामी विवेकानंद जी महाराज, स्वामी यति नृसिंह सरस्वती जी महाराज, स्वामी अनंतानंद सरस्वती और स्वामी आनंदेश्वरानंद जी महाराज जैसे संतों ने अपने विचार रखे। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा उस अंतिम प्रस्ताव की रही जिसमें 2027 के आम चुनाव में योगी आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री बनाने की मांग की गई है। अंत में यह निर्णय लिया गया कि पारित किए गए सभी प्रस्तावों को औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा जाएगा।