राम मंदिर में ध्वजारोहण के बाद बोलते हुए RSS प्रमुख मोहन भागवत (सोर्स: IANS)
RSS Chief Mohan Bhagwat ON Ram Mandir Dhwajarohan: प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अयोध्या के पवित्र श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर औपचारिक रूप से भगवा ध्वज फहराया।
अभिजीत मुहूर्त में पीएम मोदी के बटन दबाते ही 2 किलो का केसरिया ध्वज 161 फीट ऊंचे शिखर पर फहरने लगा। इस दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ कई दिग्गज इस समय उनके साथ मंदिर परिसर में मौजूद हैं।
इस दौरान RSS चीफ मोहन भागवत ने कहा कि आज हम सबके लिए एक उपलब्धि का दिन है। कितने लोगों ने इस दिन का सपना देखा था, कितने लोगों ने कोशिश की, कितने लोगों ने अपनी जान भी कुर्बान कर दी। आज उनकी आत्मा को शांति मिल रही होगी। धर्म ध्वज फहराया गया है। वही राम राज्य का झंडा जो कभी अयोध्या में लहराता था और पूरी दुनिया को शांति और खुशी से रोशन करता था।
10 फीट ऊंचे और 20 फीट लंबे समकोण वाले तिकोने झंडे पर एक चमकते सूरज की तस्वीर है, जो भगवान श्री राम की चमक और वीरता का प्रतीक है, और इस पर कोविदारा पेड़ की तस्वीर के साथ ‘ॐ’ लिखा है।
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RSS सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि यह हम सबके लिए एक अहम दिन है। बहुत से लोगों ने सपना देखा, बहुत से लोगों ने कोशिशें कीं, और बहुत से लोगों ने कुर्बानी दी। आज उनकी आत्मा को शांति मिली होगी। अशोक सिंघल को आज शांति मिली होगी।
#WATCH | Ayodhya Dhwajarohan | RSS Sarsanghchalak Mohan Bhagwat says, “This is a significant day for all of us. Numerous people saw a dream, numerous people made efforts, and numerous people made sacrifices. Their souls must be full today. Ashok ji (Ashok Singhal) must have felt… pic.twitter.com/QLXPWMn8b3 — ANI (@ANI) November 25, 2025
महंत रामचंद्र दास जी महाराज, डालमिया जी (सीनियर VHP लीडर विष्णु हरि डालमिया) और बहुत से संतों, लोगों और स्टूडेंट्स ने कुर्बानी दी और मेहनत की। जो लोग बैकग्राउंड में थे, वे भी मंदिर बनने की उम्मीद करते रहे। मंदिर अब बन गया है, और आज मंदिर की शास्त्रीय प्रक्रिया हुई है।
इस दौरान उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ माता अन्नपूर्णा मंदिर पहुंचे। यहां उन्होंने ध्वजारोहण से पहले विशेष पूजा-अर्चना कर समृद्धि, अन्नपूर्णा और लोककल्याण की कामना की। अन्नपूर्णा मंदिर में सम्पन्न इस अनुष्ठान को ऐतिहासिक ध्वजारोहण से पहले की आध्यात्मिक भूमिका के रूप में देखा जा रहा है। इसके बाद वे शेषावतार मंदिर भी पहुंचे, जहां उन्होंने परंपरागत विधियों के अनुसार पूजा की।