अमित शाह व यूपी भाजपा नेता रामशंकर कठेरिया (फोटो- सोशल मीडिया)
UP BJP President: भारतीय जनता पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में हो रही देरी के बीच अब सभी की निगाहें उत्तर प्रदेश पर टिक गई हैं। माना जा रहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष से पहले यूपी जैसे महत्वपूर्ण राज्य में नए अध्यक्ष का चुनाव होगा। इसको लेकर अटकलों का बाजार गर्म है और कई नामों पर चर्चा हो रही है। पार्टी नेतृत्व ऐसे चेहरे की तलाश में है जो वैचारिक रूप से मजबूत हो और जिसका आरएसएस से गहरा जुड़ाव हो। इस दौड़ में इटावा के दलित नेता रामशंकर कठेरिया का नाम सबसे आगे चल रहा है।
रामशंकर कठेरिया की दावेदारी इसलिए भी मजबूत मानी जा रही है क्योंकि वह प्रदेश की किसी भी गुटबाजी का हिस्सा नहीं हैं। वह समाजवादी पार्टी के गढ़ इटावा से आते हैं, जहां से सपा का उदय हुआ था। ऐसे में यदि उन्हें यह जिम्मेदारी मिलती है, तो बीजेपी को यादव बेल्ट माने जाने वाले इटावा, मैनपुरी और एटा जैसे जिलों में संगठन को मजबूत करने में बड़ी मदद मिल सकती है। फिलहाल कठेरिया के पास कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं है, इसलिए उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी उनके अनुभव का पूरा लाभ उठाना चाहेगी।
समाजवादी पार्टी इन दिनों पीडीए यानी पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक को साधने की रणनीति पर काम कर रही है। सपा की इस रणनीति को कमजोर करने के लिए बीजेपी रामशंकर कठेरिया के रूप में एक बड़ा दांव चल सकती है। एक दलित चेहरे को प्रदेश की कमान सौंपकर भाजपा सपा के प्रचार को कमजोर करना चाहेगी। यह कदम न केवल पार्टी के भीतर एक सकारात्मक संदेश देगा, बल्कि दलित समाज में भी भाजपा की पैठ को और गहरा करेगा। कठेरिया का लंबा अकादमिक और सामाजिक अनुभव इसमें सोने पर सुहागा साबित हो सकता है।
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रामशंकर कठेरिया के पक्ष में जो सबसे मजबूत बात है, वह है उनका लंबा सांगठनिक और प्रशासनिक अनुभव। वह 13 वर्षों तक आरएसएस के प्रचारक रहे हैं और दलित चेतना पर उनका गहरा अध्ययन है। आगरा में हिंदी के प्रोफेसर के तौर पर काम कर चुके कठेरिया का आगरा से लेकर इटावा तक मजबूत प्रभाव है। वह भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव रह चुके हैं और केंद्र सरकार में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। उनका अनुभव और साफ छवि उन्हें इस पद के लिए एक आदर्श उम्मीदवार बनाती है।