जमीन दान करने वाले अब्दुल रहीम सिद्दीकी।
Muslim Tailor Donates Land For Ramlila: उत्तर प्रदेश के भदोही से आपसी भाईचारे और गंगा-जमुनी तहजीब की एक मजबूत मिसाल पेश करने वाला मामला सामने आया है। गोपीगंज क्षेत्र के बड़ागांव गांव में मुस्लिम दर्जी ने रामलीला के लिए अपनी पुश्तैनी जमीन दान दे दी। ऐसा करके उन्होंने सामाजिक सौहार्द का संदेश दिया है। 65 वर्षीय अब्दुल रहीम सिद्दीकी ने रामलीला के स्थायी मंच के निर्माण के लिए जमीन रामलीला समिति को सौंपी है।
भदोही जिले के बड़ागांव गांव में 1932 से रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। अब तक इसके लिए कोई स्थायी मंच नहीं था। हर साल अस्थायी व्यवस्था के सहारे रामलीला कराई जाती थी। इस समस्या को देखते हुए गांव में रहने वाले और पेशे से दर्जी अब्दुल रहीम सिद्दीकी ने अपनी पुश्तैनी जमीन का दो से तीन बिस्वा हिस्सा आदर्श रामलीला समिति को दान कर दिया।
अहम बात है कि अब्दुल रहीम सिर्फ जमीन दान करने वाले ही नहीं हैं, बल्कि वे वर्षों तक खुद रामलीला आयोजन से जुड़े रहे हैं। मंचन में भाग लेते रहे हैं। रामलीला के प्रति उनका जुड़ाव और आस्था इस निर्णय की सबसे बड़ी वजह बनी। उन्होंने इसे श्रीराम की कृपा बताते हुए समाज के लिए समर्पण का भाव व्यक्त किया।
अब दान की गई जमीन पर रामलीला के लिए स्थायी मंच का निर्माण शुरू हो गया है। मंच पर कलाकारों के लिए पोशाक बदलने का कक्ष, सामग्री रखने की व्यवस्था और दर्शकों के लिए बेहतर सुविधाएं विकसित की जाएंगी। रामलीला समिति के सदस्य विनयशुक्ला ने बताया कि विधि-विधान से पूजन-अर्चना के बाद निर्माण कार्य शुरू किया गया है।
राम के हुए रहीम मेरे जिले यानी भदोही में अब्दुल रहीम सिद्दीकी रामलीला के लिए अपनी पैतृक जमीन का एक हिस्सा रामलीला के लिए दान दे रहे हैं। उनके गांव बड़ागांव में 94 साल से रामलीला का आयोजन होता है। लेकिन समिति के पास अपनी कोई जमीन नहीं है। जिससे हर साल परेशानी होती थी। पेशे… pic.twitter.com/TAXokbgZxk — Bhadohi Wallah (@Mithileshdhar) December 20, 2025
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रामलीला समिति के अनुसार 2026 से रामलीला का आयोजन इसी नए मंच से किया जाएगा। बड़ागांव की यह पहल न सिर्फ धार्मिक परंपरा को मजबूती देती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि भारत की असली ताकत भाईचारे, सम्मान और सौहार्द में ही निहित है। बता दें, उत्तर प्रदेश में सामाजिक सौहार्द की यह खबर बेहद सराहनीय है। प्रदेश में अयोध्या राम मंदिर को लेकर पहले काफी विवाद हो चुका है। प्रदेश में कई मौकों पर आपसी तनाव की भी घटना हुई हैं।