गिरफ्तार किए गए आरोपी, फोटो: सोशल मीडिया
Fake Police Station in Noida: नोएडा से पकड़े गए गिरोह का सरगना पश्चिम बंगाल के बीरभूम का रहने वाला और तृणमूल कांग्रेस (TMC) का पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष विभाष चंद्र है। उसके खिलाफ बंगाल में पहले से ही कई आपराधिक मामले दर्ज हैं और वह वहां से भागकर नोएडा में फर्जीवाड़ा कर रहा था।
पुलिस की जांच में सामने आया कि विभाष चंद्र और उसका बेटा पश्चिम बंगाल में लोगों को फर्जी नोटिस भेजकर वसूली किया करते थे। वो जमीन विवाद सुलझाने और काम करवाने के नाम पर मोटी रकम लेते थे। बेटे की कार पर ‘इंटरपोल’ का स्टीकर लगा होता था, जिससे लोगों को डराया जाता था। नोएडा में भी इसी तर्ज पर यह गिरोह सक्रिय था।
शनिवार की रात पुलिस ने विभाष चंद्र और उसके बेटे समेत अन्य कई साथियों को गिरफ्तार किया। वे सरकारी अफसर बनकर लोगों को ठगते थे। आरोपियों पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है। कोलकाता पुलिस के मुताबिक, विभाष चंद्र ने बेलियाघाटा इलाके में दो फ्लैट किराए पर लेकर ‘इंटरपोल’ और ‘सामाजिक न्याय जांच’ के नाम से ऑफिस चलाया। दफ्तर पर ‘पुलिस’ जैसे बोर्ड लगे हुए थे। चौंकाने वाली बात तो यह है कि यह ऑफिस दो थानों के बीच संचालित हो रहा था और आरोपी नीली बत्ती वाली गाड़ी में आता-जाता था।
विभाष चंद्र का नाम पश्चिम बंगाल के चर्चित शिक्षक भर्ती घोटाले में भी सामने आया था। 2023 में सीबीआई ने उससे कई बार पूछताछ की थी। बताया जाता है कि वह पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी का करीबी था। 2021 में तृणमूल कांग्रेस ने उसे पार्टी से निकाल दिया था।
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पुलिस के अनुसार, विभाष चंद्र के पास दिल्ली और कोलकाता में घर हैं। इसके अलावा बीरभूम जिले के सूरी और हुगली जिले के कृष्णापुर में दो कॉलेज भी उसके नाम पर हैं। संपत्तियों की जांच की जा रही है और फर्जीवाड़े से जुड़ी अन्य जानकारियां खंगाली जा रही हैं। लोगों के साथ पुलिस जैसे विश्वसनीय विभाग का सहारा लेकर लोगों से धोखाधड़ी बेहद संगीन अपराध है। इससे ना सिर्फ लोग भ्रमित होते हैं बल्कि उनका आर्थिक नुकसान भी होता है।