मायावती ने संसद में कांग्रेस और भाजपा के बीच नोकझोंक पर प्रतिक्रिया देते हुए (सोर्स - सोशल मीडिया)
लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (BSP) के प्रमुख मायावती ने बुधवार को कांग्रेस और भाजपा के बीच हुए नोकझोंक को लेकर कुछ जरुरी बात कहीं है। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना को लेकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सदस्यों के बीच मंगलवार को संसद में हुई तकरार अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समाज को छलने यानी धोखा देने का काम कर रहीं है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जाति आधारित जनगणना जैसे राष्ट्रीय मुद्दे पर केन्द्र सरकार को और ज्यादा विशेष रुप से ध्यान देने की जरूरत है।
बहुजन समाज पार्टी के प्रमुख मायावती ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ के अपनी आधिकारिक हैंडल के माध्यम से कहा कि कल संसद में खासकर जाति व जातीय जनगणना को लेकर कांग्रेस और भाजपा में हुई तकरार एक तरह से नाटक जैसा था, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इन गतीविधियों से तो यही पता चलता है की बड़ी सफाई से ओबीसी समाज को धोखा देने की कोशिश की जा रहीं है।
1. कल संसद में ख़ासकर जाति व जातीय जनगणना को लेकर कांग्रेस व बीजेपी आदि में जारी तकरार नाटकबाज़ी तथा ओबीसी समाज को छलने की कोशिश, क्योंकि इनके आरक्षण को लेकर दोनों ही पार्टियों का इतिहास खुलेआम व पर्दे के पीछे भी घोर ओबीसी-विरोधी रहा है। इन पर विश्वास करना ठीक नहीं। 1/2
— Mayawati (@Mayawati) July 31, 2024
मायावती भाजपा और कांग्रेस दोनों पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि यह इन दोनों पार्टियों के लिए नई और साधारण बात नहीं है, क्योंकि ओबीसी समुदाय के आरक्षण को लेकर दोनों ही पार्टियों का इतिहास खुलेआम व पर्दे के पीछे भी घोर ओबीसी-विरोधी रहा है, यानी कहने की बात ये है कि कभी भी इनके विचार ओबीसी समुदाय के प्रति सकारात्मक नहीं रहें है और ना ही इन्होंने ऐसा कभी सोचा है और चाहा है इनके लिए कुछ करने का, मायावती ने कहा इन पर आख बंद करके विश्वास करना बेवकूफी से कम नहीं होगा।
मायावती ने अपनी पार्टी की प्रशंसा करते हुए कहा कि बहुजन समाज पार्टी के प्रयासों से लागू हुए ओबीसी आरक्षण की तरह ही राष्ट्रीय जातीय जनगणना जनहित का एक ख़ास राष्ट्रीय मुद्दा है, जिसमें अलग-अलग वर्गों के लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान निर्धारित हैं। लेकिन इन विषयों के प्रति केन्द्र सरकार को और भी गंभीर होने की जरुरत है। मायावती ने कहा कि देश तेजी से विकसित हो रहा है, ऐसे में इस विकास में का एक छोटा सा भाग इन करोड़ों गरीबों और पिछड़ों एवं बहुजनों का भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि गरीबों और पिछड़ों के हक की पूर्ति ही जातीय जनगणना की अहम भूमिका है।