हसनंबा मंदिर (सौ. वीकिपीडिया)
कर्नाटक: हिंदू धर्म में कई ऐसे प्रसिद्ध मंदिर जहां आज भी चमत्मकार होते हैं। इसी तरह का एक मंदिर दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक में भी मौजूद है। यह अनोखा मंदिर साल में सिर्फ एक बार ही खुलता है। यह कर्नाटक के हासन जिले में स्थित है। इस मंदिर की खासियत है कि यहां पर सालभर कपाट बंद रहते हैं और सिर्फ दीवाली केस समय पर ही इसे खोला जाता है। यह हफ्ते के सात दिन ही खुलता है उस दौरान यहां दीपक, फूल और प्रसाद चढ़ाया जाता है। इसके बाद यह मंदिर बंद कर दिया जाता है और अलगे साल ही इसे खोला जाता है। आइए, जानते हैं इस अद्भुत मंदिर के बारे में-
भगवान को लेकर हर व्यक्ति की आस्था और उसके पूजा करने का तरीका अलग-अलग होता है। लेकिन आपने ऐसा कभी नहीं सुना होगा कि भगवान को चिट्ठि लिखने से मुरादें पुरी हो सकती हैं। लेकिन कर्नाटक के प्रसिद्ध हसनंबा मंदिर में इस तरह की परंपरा है। यहां पर मंदिर साल में सिर्फ एक हफ्ते ही खोला जाता है। उस वक्त भक्त यहां आकर चिट्ठि लिखते हैं और भगवान से अर्जी लगाते हैं। इस खास मंदिर के दर्शन करने के लिए लोग देश के कोने-कोने से आते हैं।
कर्नाटक के इस हसनंबा मंदिर का निर्माण 112वीं शताब्दी में हुआ था। कहा जाता है कि इस मंदिर को होयसल वंश के राजाओं द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर के मुख्य द्वार पर गोपुरम स्थित है। यह मंदिर अपने चमत्कारों के लिए काफी प्रसिद्ध है। दरअसल जब इस मंदिर के कपाट बंद करने से पहले दीपक एवं फूल अर्पित किए जाते हैं। कहा जाता है कि जब एक साल बाद इसे खोला जाता है तो दीपक जला हुआ पाया जाता है और सात ही फूल भी ताजे बने रहते हैं।
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प्राचीन कथा के अनुसार हसनंबा मंदिर के बारे में कहा जाता है कि एक बार अंधकासुर ने कड़ी तपस्या करके भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न किया और उनसे वरदान प्राप्त किया। जिससे वह काफी शक्तिशाली हो गए और सभी का जीवन दुष्कर बना दिया।
इस बात से परेशान होकर भगवान शिव ने अंधकासुर का वध करने का संकल्प लिया। लेकिन अंधकासूर मारने पर जब खून की बूंद गिरती थी तो उससे एक नए राक्षस का जन्म होता था। इस चुनौती का सामना करने के लिए भगवान ने अपने तपयोग से योगेश्वरी देवी का निर्माण किया। जिसके बाद उन्होंने अंधकासुर का वध कर दिया।