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बिहार के इस अनोखे मंदिर में जीवित लोग खुद का करते हैं श्राद्ध, जानें कारण

Janardan Vedi Temple: बिहार के गया में एक ऐसा मंदिर मौजूद है जहां पर लोग मरने के बाद नहीं बल्कि जीवित रहते हुए अपना श्राद्ध करते हैं। शायद ही कई लोगों ने इस मंदिर के बारे में सुना होगा।

  • By प्रीति शर्मा
Updated On: Sep 09, 2025 | 06:30 AM

पितृ पक्ष 2025 (प्रतीकात्मक तस्वीर)

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Pitru Paksha 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन महीने की अमावस्या तक पितृ पक्ष होता है। इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो चुकी है और ऐसे में लोग गया, हरिद्वार, उत्तरकाशी आदि जगहों पर जाकर पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण आदि अनुष्ठान करते हैं। बता दें कि पूर्वजों को पितृ बोला जाता है। इस दौरान दान पुण्य करना बहुत फलदायी माना जाता है।

पितृ पक्ष पर पूर्वजों को प्रसन्न करने और उनके आर्शीवाद के लिए अक्सर लोग गया जाते हैं। यहां पर पिंडदान देने और पितरों की आत्मा की शांति के लिए दूर दूर से लोग आते हैं। आमतौर पर पिंडदान या श्राद्ध मृत व्यक्तियों का किया जाता है लेकिन बिहार में एक ऐसा अद्भुत मंदिर है जहां पर जीवित लोग खुद का पिंडदान करते हैं।

माना जाता है कि गया में भगवान राम ने फल्गु नदी के किनारे राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और पिंडदान किया था। जिसकी वजह से गया पितृ पक्ष पर एक बड़ा तीर्थ स्थल बनकर उभरा है। गया जी में करीब 54 पिंड देवी और 53 पवित्र स्थल है जहां पितरों का पिंडदान होता है।

जीवित व्यक्ति का होता है पिंडदान

बिहार के गया में स्थित जनार्दन वेदी मंदि पूरी दुनिया में इकलौता है जहां पर जीवित व्यक्ति अपना ही श्राद्ध करते हैं। यह मंदिर भस्म कूट पर्वत पर मां मंगला गौरी मंदिर के उत्तर में मौजूद है। कहा जाता है कि यहां पर भगवान विष्णु खुद जनार्दन स्वामी के रूप में पिंड ग्रहण करते हैं।

आमतौर पर इस मंदिर में लोग आत्मश्राद्ध करने आते हैं जिन लोगों की कोई संतान नहीं होती है या उनके परिवार में कोई उनके बाद कोई पिंडदान करने वाला नहीं होता है। इसके अलावा संत-वैराग्य भाव से घर परिवार से दूर हो गए लोग भी अपना पिंडदान यहां करने आते हैं।

यह भी पढ़ें:- भारत की इन पवित्र जगहों पर करें पूर्वजों का श्राद्ध, पुण्य और मोक्ष की होगी प्राप्ति

कैसे किया जाता है आत्मश्राद्ध

आत्मश्राद्ध तीन दिन में होता है जिसमें पहले गया जी तीर्थ स्थल आने पर वैष्णव सिद्धि का संकल्प लेते हैं और पापों का प्रायश्चित किया जाता है। इसके बाद भगवान जनार्दन मंदिर में पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना व जाप होता है। दही और चावल से बने तीन पिंड भगवान को अर्पित किए जाते हैं। खास बात यह है कि इसमें तिल का इस्तेमाल नहीं होता है। लेकिन मृतकों के श्राद्ध में तिल जरूरी माना जाता है।

पिंड अर्पित करते समय श्रद्धालु भगवान से प्रार्थना करते हैं और मोक्ष की प्राप्ति का आर्शीवाद मांगते हैं। पितृपक्ष के दौरान यहां पर लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं और आत्मश्राद्ध करते हैं। यह मंदिर काफी प्राचीन है और पूरी तरह से चट्टानों से बना है।

Bihar unique janardan vedi temple where people do their own shradh

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Published On: Sep 09, 2025 | 06:30 AM

Topics:  

  • Bihar
  • Pitru Paksha
  • Tour and Travel News

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