अमेरिका ने लॉन्च किया एआई जेनेसिस मिशन (सोर्स- सोशल मीडिया)
Trump AI Genesis Mission: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने “जेनेसिस मिशन” नाम की एक नई और बड़ी सरकारी योजना शुरू करने के लिए एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन किए हैं। इस मिशन का मकसद यह है कि वैज्ञानिक खोजें पहले से ज्यादा तेज और बेहतर तरीके से की जा सकें, और इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का व्यापक उपयोग किया जाए।
व्हाइट हाउस ने इस पहल को इतना महत्वपूर्ण बताया है कि इसकी तुलना अपोलो स्पेस मिशन और मैनहट्टन प्रोजेक्ट जैसी ऐतिहासिक पहलों से की जा रही है। इस मिशन के तहत डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी (DOE) को एक ऐसा यूनिफाइड AI प्लेटफॉर्म बनाना है, जो देशभर के वैज्ञानिक डेटा, सुपरकंप्यूटर, नेशनल लैब और प्राइवेट कंपनियों को एक साथ जोड़कर काम करे।
इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य यह होगा कि वैज्ञानिकों को रिसर्च के लिए जरूरी डेटा, टूल्स और कंप्यूटिंग एक ही जगह पर मिले, ताकि उनका काम आसान और तेज हो सके। व्हाइट हाउस के साइंस एंड टेक्नोलॉजी पॉलिसी ऑफिस के प्रमुख माइकल क्रैट्सियोस ने कहा कि जेनेसिस मिशन सरकार की विभिन्न एजेंसियों में चल रही रिसर्च को एक-दूसरे से बेहतर तरीके से जोड़ने में मदद करेगा। AI की मदद से रिसर्च के नतीजे जल्दी और ज्यादा सटीक मिल सकेंगे, जिससे वैज्ञानिक उन कामों को भी कम समय में कर पाएंगे, जिनमें पहले सालों लगते थे।
मिशन का एक और बड़ा लक्ष्य यह है कि टेक और बिजनेस सेक्टर में AI की जो तेज तरक्की हो रही है, उसका फायदा स्वास्थ्य, ऊर्जा, मैन्युफैक्चरिंग और अन्य वैज्ञानिक क्षेत्रों को भी मिले। इससे दवाओं की खोज, नई टेक्नोलॉजी, बेहतर मशीनें और स्वच्छ ऊर्जा के समाधानों में तेजी आएगी।
जेनेसिस मिशन विशेष रूप से उन क्षेत्रों पर ध्यान देगा जहाँ रिसर्च बहुत महंगी और समय लेने वाली होती है जैसे बायोटेक्नोलॉजी, जरूरी मटीरियल, न्यूक्लियर फिशन और फ्यूजन ऊर्जा, स्पेस एक्सप्लोरेशन, क्वांटम साइंस और माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स। AI के उपयोग से इन क्षेत्रों में काम सस्ता, तेज और अधिक प्रभावी बनने की उम्मीद है।
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डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी अमेरिकन साइंस एंड सिक्योरिटी प्लेटफॉर्म भी तैयार करेगा, जिसमें हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग, AI एजेंट, बड़े डेटासेट और ऑटोमेटेड रिसर्च वर्कफ्लो शामिल होंगे। 60 दिनों में एनर्जी सेक्रेटरी को 20 प्रमुख वैज्ञानिक चुनौतियों की सूची तैयार करनी होगी। 240 दिनों में नेशनल लैब्स की तैयारी का रिव्यू होगा और 270 दिनों में मिशन को कम से कम एक चुनौती पर शुरुआती काम शुरू करना होगा।