Spam call और SMS से कैसे बचें। (सौ. Freepik)
Spam SMS And Call: देशभर में लोग अनचाही कॉल और मैसेज से परेशान हैं। ब्लॉक करने के बाद भी यह समस्या खत्म नहीं हो रही है। वजह है टेलीकॉम कंपनियों और टेलीमार्केटिंग एजेंसियों की जिम्मेदारी को लेकर जारी खींचतान। सरकार इस संकट पर रोक लगाने के लिए नई व्यवस्था पर काम कर रही है।
दूरसंचार विभाग (DOT) ने सुझाव दिया है कि अब सभी टेलीमार्केटिंग कंपनियों को लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। यानी बैंक, शॉपिंग साइट या अन्य ब्रांड की ओर से प्रचार कॉल और मैसेज भेजने वाली कंपनियां बिना अनुमति काम नहीं कर पाएंगी। लाइसेंस व्यवस्था से इन पर सख्त नियंत्रण रखा जा सकेगा।
दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) का मानना है कि जब तक टेलीकॉम कंपनियां पूरी तरह गंभीर नहीं होंगी, तब तक स्पैम कॉल और SMS बंद करना संभव नहीं है। ट्राई अध्यक्ष अनिल कुमार लाहोटी ने कहा, “बिना टेलीकॉम कंपनियों के सक्रिय सहयोग के स्पैम रोकना नामुमकिन है।”
अक्टूबर 2024 में DOT ने ट्राई से पूछा था कि टेलीमार्केटर्स को लाइसेंस देने के लिए किन शर्तों और शुल्क की जरूरत होगी। यहां परिभाषा को लेकर विवाद खड़ा हो गया, क्योंकि टेलीमार्केटर की श्रेणी में कंपनियों के साथ-साथ कॉल सेंटर, एजेंट और व्यक्तिगत नंबर से प्रचार भेजने वाले भी शामिल हो सकते हैं। सरकार ने स्पष्ट किया कि टेलीमार्केटर वही होंगे जो दूसरों की ओर से प्रचार संदेश भेजते हैं।
वर्तमान नियमों के तहत टेलीकॉम कंपनियां टेलीमार्केटर्स की गतिविधियों के लिए जिम्मेदार हैं। यदि किसी ऑपरेटर को 10 दिनों के भीतर पांच या अधिक ग्राहकों से एक ही टेलीमार्केटर के खिलाफ शिकायत मिलती है, तो उसकी सेवाएं तुरंत बंद करनी होती हैं। साथ ही जांच भी अनिवार्य है।
अब तक केवल 24 करोड़ मोबाइल उपभोक्ताओं ने ‘डू नॉट डिस्टर्ब (DND)’ सेवा का उपयोग किया है, जबकि कुल उपभोक्ता 110 करोड़ से अधिक हैं। इसका मतलब है कि 78 प्रतिशत लोग अभी भी DND में पंजीकृत नहीं हैं। ट्राई का मानना है कि ग्राहकों को सक्रिय होकर डीएनडी का इस्तेमाल करना चाहिए और शिकायतें दर्ज करनी चाहिए।
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देश में करीब 18 हजार टेलीमार्केटिंग कंपनियां काम कर रही हैं। अगस्त 2024 से अब तक 1150 से ज्यादा कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया गया और 19 लाख से अधिक मोबाइल नंबर बंद किए गए। केवल जनवरी से मई 2025 के बीच ही आठ लाख शिकायतें दर्ज हुईं।
सूत्रों के अनुसार, टेलीमार्केटर्स के लिए नई अधिकृत व्यवस्था अगले साल तक लागू होगी। टेलीकॉम कंपनियां चाहती हैं कि जुर्माना केवल ऑपरेटरों पर न लगे, बल्कि उन ब्रांड्स पर भी कार्रवाई हो, जो प्रचार संदेश भिजवाते हैं।