Artifical Intelligence से गंदी तस्वीरे बनाई जा रही है। (सौ. Freepik)
नवभारत टेक डेस्क: डिजिटल युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने कई क्षेत्रों में प्रगति की है, लेकिन इसके नकारात्मक पहलुओं में डीपफेक अश्लील सामग्री का बढ़ता चलन एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, जापान उन शीर्ष तीन देशों में शामिल है, जहां इस तरह की सामग्री बनाने वाली वेबसाइटों पर सबसे अधिक ट्रैफिक दर्ज किया गया है।
योमिउरी शिंबुन और डिजिटल एनालिटिक्स फर्म सिमिलरवेब लिमिटेड द्वारा दिसंबर 2023 से नवंबर 2024 तक किए गए सर्वेक्षण में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। इसमें 41 ऐसी वेबसाइटों की पहचान हुई, जहां उपयोगकर्ता किसी व्यक्ति की तस्वीरें अपलोड कर अश्लील डीपफेक सामग्री बना सकते हैं। जापान से इन साइटों पर सालभर में 1.8 करोड़ विजिट दर्ज की गईं।
जापान में हर महीने औसतन 4.1 लाख उपयोगकर्ता इन साइट्स पर पहुंचते हैं, जिनमें से 80% स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं। अमेरिकी साइबर सुरक्षा फर्म सिक्योरिटी हीरो की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में 95,820 डीपफेक वीडियो का पता चला, जो 2019 की तुलना में साढ़े पांच गुना अधिक था।
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विशेषज्ञों का कहना है कि डीपफेक जैसी तकनीकों से निपटने के लिए अधिकांश देशों में प्रभावी कानूनी प्रावधानों का अभाव है। जापान में, डीपफेक अश्लील सामग्री के निर्माण या वितरण को रोकने के लिए कोई ठोस कानून नहीं है। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर इचिरो सातो ने कहा, “व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून बनाए जाने की आवश्यकता है।”