Starlink भारत में कैसे करेंगा काम। (सौ. X)
नवभारत टेक डेस्क: सैटेलाइट इंटरनेट सेवा से जुड़ी दिग्गज कंपनी Starlink जल्द ही भारत में अपनी सेवाएं शुरू कर सकती है। कंपनी ने Jio और Airtel के साथ साझेदारी की है और सरकार की मंजूरी मिलते ही इसकी सेवाएं देश में शुरू हो जाएंगी। वर्तमान में Starlink 100 से अधिक देशों में अपनी सेवाएं प्रदान कर रही है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह दूर-दराज के इलाकों में भी इंटरनेट उपलब्ध करा सकती है। आइए जानते हैं कि यह सेवा कैसे काम करती है।
Starlink अन्य इंटरनेट कंपनियों की तरह फाइबर केबल और मोबाइल टावरों पर निर्भर नहीं करती है। कंपनी ने लो-अर्थ ऑर्बिट में हजारों सैटेलाइट तैनात किए हैं, जो सीधे धरती पर इंटरनेट सेवा प्रदान करते हैं। Starlink ने पुष्टि की है कि हर पांच साल में यह नई टेक्नोलॉजी के साथ अपने सैटेलाइट अपग्रेड करती रहेगी।
इस सेवा का उपयोग करने के लिए यूजर को एक विशेष डिश और राउटर की आवश्यकता होती है। यह डिश Starlink के सैटेलाइट से सीधे कनेक्ट होती है और राउटर के माध्यम से इंटरनेट एक्सेस किया जाता है। यह तकनीक स्थिर कनेक्टिविटी प्रदान करती है और पारंपरिक ग्राउंड नेटवर्क की तुलना में इसमें व्यवधान की संभावना बेहद कम होती है।
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ग्राउंड नेटवर्क को दूरस्थ इलाकों तक पहुंचाना एक बड़ी चुनौती होती है। दुर्गम भौगोलिक स्थितियों के कारण दुनिया के कई हिस्सों में अब तक इंटरनेट कनेक्टिविटी उपलब्ध नहीं हो पाई है। Starlink इस समस्या का समाधान कर सकती है क्योंकि यह किसी भी प्रकार की भौगोलिक परिस्थितियों में काम कर सकती है।
मुख्य रूप से इसे स्थिर स्थानों पर उपयोग के लिए डिजाइन किया गया है, लेकिन अतिरिक्त उपकरणों की मदद से इसे वाहनों, समुद्री जहाजों और अन्य गतिशील प्लेटफॉर्म पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, इसकी इंटरनेट स्पीड फाइबर-आधारित ब्रॉडबैंड से कम हो सकती है, लेकिन कवरेज के मामले में यह हर क्षेत्र तक पहुंचने में सक्षम होगी।