ICICI बैक का क्या है फैसला। (सौ. X)
UPI Transaction Charges: प्राइवेट सेक्टर लेंडर ICICI बैंक ने 1 अगस्त से पेमेंट एग्रीगेटर्स (PAs) से UPI ट्रांजैक्शन पर शुल्क लेने का फैसला किया है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, बैंक ने इस संबंध में एग्रीगेटर्स को पत्र भेजकर जानकारी दे दी है।
पेमेंट एग्रीगेटर्स ऐसे मध्यस्थ होते हैं जो बैंकों और व्यापारियों (Merchants) के बीच भुगतान प्रक्रिया को आसान बनाते हैं। यह पहले ग्राहकों से राशि इकट्ठा करते हैं और फिर उसे व्यापारी तक पहुंचाते हैं। इस श्रेणी में Google Pay, PhonePe, MobiKwik और Razorpay जैसे बड़े नाम शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार, ICICI बैंक ने तय किया है कि
एक पेमेंट कंपनी के अधिकारी ने कहा, “यदि आप RBI गवर्नर का हालिया बयान देखें तो उसमें UPI पर चार्जिंग की बात हुई थी। बैंकों ने संभवतः उसी संकेत से यह कदम उठाया है। तकनीकी ढांचे और UPI स्विच से जुड़ी लागतों को देखते हुए बैंकों को राजस्व की आवश्यकता है।”
रिपोर्ट के अनुसार, Yes Bank और Axis Bank भी पेमेंट एग्रीगेटर्स से शुल्क लेते हैं। UPI इकोसिस्टम में Yes Bank, Axis Bank और ICICI Bank तीन सबसे बड़े खिलाड़ी हैं, जो पेयर और पेयी दोनों पक्षों पर सक्रिय हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि Peer-to-Merchant (P2M) सेगमेंट में UPI लेनदेन तेजी से बढ़ रहे हैं। इससे निपटने के लिए बैंकों को बड़े स्तर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करना पड़ रहा है। चूंकि UPI पर Merchant Discount Rate (MDR) नहीं है, इसलिए यह व्यवस्था बैंकों के लिए लगभग बिना राजस्व वाली है।
UPI स्विच उपयोग के लिए बैंक भी शुल्क चुकाते हैं। दूसरी ओर, PAs व्यापारियों से प्लेटफॉर्म फीस और सुविधा शुल्क (Convenience Fee) वसूलते हैं। लेकिन ग्राहकों पर कोई अतिरिक्त भार नहीं है। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि अब बैंक राजस्व बढ़ाने के लिए PAs पर चार्ज लगा रहे हैं। एक अन्य पेमेंट कंपनी के अधिकारी ने कहा, “PAs या तो यह अतिरिक्त बोझ व्यापारियों पर डालेंगे या फिर खुद ही वहन करेंगे। UPI पर क्रेडिट कार्ड लेनदेन भी बढ़े हैं, जिससे पहले से ही कुछ स्तर पर मोनेटाइजेशन संभव हुआ है।”
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जब ग्राहक किसी व्यापारी को UPI से भुगतान करता है, तो PA ग्राहक के बैंक और व्यापारी के बैंक के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाता है। प्रायः PAs किसी बैंक में एस्क्रो अकाउंट रखते हैं। लेनदेन की राशि पहले इसी खाते में आती है और बाद में व्यापारी के बैंक खाते में सेटल होती है।
ICICI बैंक का यह कदम UPI इकोसिस्टम में बड़ा बदलाव ला सकता है। जहां बैंकों के लिए यह राजस्व का नया जरिया बनेगा, वहीं पेमेंट एग्रीगेटर्स और व्यापारियों पर अतिरिक्त लागत का बोझ बढ़ सकता है। आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि क्या ये कंपनियां शुल्क का दबाव खुद उठाती हैं या इसे व्यापारियों तक पहुंचाती हैं।