भारतीय फुटबॉल (फोटो-सोशल मीडिया)
2025 Is Worst Year For Indian Football: भारतीय फुटबॉल के लिए साल 2025 काफी खराब रहा। भारतीय फुटबॉल के लिए यह साल काफी चुनौतियों से भरा रहा। इस साल भारतीय फुटबॉल को कई बड़े संकटों का सामना करना पड़ा, जिसमें प्रशासनिक समस्याएं, वित्तीय संकट और सीनियर पुरुष टीम का खराब प्रदर्शन शामिल थे। हालांकि, कुछ अच्छे पल भी आए। जिससे भविष्य में सुधार की अपेक्षा की जा सकती है।
इस साल भारतीय फुटबॉल के प्रशासन में कई समस्याएं आईं। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) का रिलायंस के साथ समझौता खत्म हो गया और फिर नया वाणिज्यिक पार्टनर नहीं मिल पाया। इसका असर सबसे ज्यादा इंडियन सुपर लीग (ISL) पर पड़ा। लीग समय पर शुरू नहीं हो पाई और प्रायोजक भी पीछे हट गए। क्लबों के लिए पैसे की कमी हो गई, और खिलाड़ियों को अपनी नौकरी को लेकर चिंता होने लगी।
2025 के अंत में लियोनेल मेसी का बहुचर्चित ‘जीओएटी इंडिया टूर’ भारतीय फुटबॉल को एक बार फिर सुर्खियों में ले आया। मेसी के भारत दौरे ने बेशक कुछ चर्चा उत्पन्न की, लेकिन भारतीय फुटबॉल को इससे कोई खास फायदा नहीं हुआ। कोलकाता में मेसी के स्वागत में काफी अराजकता देखने को मिली, जिससे हमारी फुटबॉल की छवि और खराब हुई। हालांकि, हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली में कार्यक्रम ठीक से आयोजित किए गए थे।
भारतीय सीनियर पुरुष फुटबॉल टीम के प्रदर्शन में इस वर्ष भी निराशा ही मिली। ढाका में नवंबर में खेले गए 2027 एएफसी एशियाई कप क्वालीफाइंग मैच में बांग्लादेश से 22 साल बाद मिली हार ने इस टीम की परेशानियों को और बढ़ा दिया। 2024 में, टीम अंतरराष्ट्रीय मैचों में कोई जीत नहीं दर्ज कर पाई थी, लेकिन 2025 में ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान में आयोजित सीएएफए नेशंस कप में कांस्य पदक जीतने जैसे कुछ छोटे सफलता के क्षण थे। इसके बावजूद, भारतीय टीम एशियाई कप के लिए क्वालीफाई करने में विफल रही और फीफा रैंकिंग में नीचे गिरती गई। बांग्लादेश के अलावा, टीम को हांगकांग और सिंगापुर जैसी कम रैंकिंग वाली टीमों से भी हार का सामना करना पड़ा।
इस साल भारतीय फुटबॉल लीग यानी ISL के लिए स्थिति बहुत ही खराब रही। क्योंकि कोई नया वाणिज्यिक पार्टनर नहीं मिला, लीग की शुरुआत में बहुत देरी हो रही है। क्लबों ने अपनी गतिविधियां रोक दीं, और खिलाड़ियों को भी पता नहीं था कि उनका भविष्य क्या होगा।फुटबॉल के इस संकट से निपटने के लिए भारतीय सरकार और खेल मंत्रालय ने हस्तक्षेप किया, लेकिन समाधान ढूंढ़ने में वक्त लग रहा है।
हालांकि पुरुष फुटबॉल के लिए यह साल काफी कठिन रहा, महिला और जूनियर टीमों ने अच्छा प्रदर्शन किया। भारतीय महिला फुटबॉल टीम ने जुलाई में थाईलैंड के चियांग माई में एएफसी महिला एशियाई कप 2026 के लिए सीधे क्वालीफाई किया, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी। यह भारतीय महिला टीम का पहला एएफसी महिला एशियाई कप था, जिसमें वह क्वालीफाई करने में सफल रही। इसी तरह, भारतीय महिला लीग की चैंपियन ईस्ट बंगाल एफसी ने एएफसी महिला चैंपियंस लीग में मुख्य ड्रॉ का मैच जीतकर एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, और वह इस प्रतियोगिता में मुख्य ड्रॉ का मैच जीतने वाली भारत की पहली टीम बनी।
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जूनियर स्तर पर भी भारत ने अपनी पकड़ मजबूत की। भारतीय अंडर-17 टीम ने श्रीलंका में खेले गए एसएएफएएफ अंडर-17 चैंपियनशिप में अपना सातवां खिताब जीता। फाइनल में बांग्लादेश को पेनल्टी शूटआउट में हराकर भारत ने यह खिताब अपने नाम किया। अब देखना यह होगा कि भारतीय फुटबॉल के प्रशासनिक और वित्तीय संकट को कैसे सुलझाया जाता है, और साथ ही साथ महिला और जूनियर टीमों के लिए बनी सकारात्मक दिशा का कितना फायदा पुरुष टीम को मिल पाता है।