
भारतीय बैडमिंटन (फोटो-सोशल मीडिया)
Indian Badminton in 2025: भारतीय बैडमिंटन के लिए साल 2025 मिला-जुला रहा। जहां एक ओर सीनियर खिलाड़ियों को फिटनेस और फॉर्म की समस्याओं से जूझना पड़ा, वहीं कुछ बड़ी उपलब्धियों और युवा खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन ने भविष्य के लिए उम्मीदें भी जगाईं। इस साल भारतीय बैडमिंटन की सबसे बड़ी व्यक्तिगत उपलब्धि लक्ष्य सेन के नाम रही। उन्होंने ऑस्ट्रेलियन ओपन सुपर 500 का खिताब जीतकर करीब दो साल बाद बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर पर खिताबी वापसी की। यह 2023 कनाडा ओपन और 2024 सैयद मोदी इंटरनेशनल के बाद उनका पहला बड़ा खिताब था। इसके अलावा लक्ष्य हांगकांग ओपन में उपविजेता भी रहे।
पुरुष युगल में सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी ने चोट और बीमारी से उबरते हुए खुद को फिर से भारत की नंबर-1 जोड़ी के रूप में स्थापित किया। इस जोड़ी ने पेरिस में विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता, हांगकांग ओपन और चीन मास्टर्स के फाइनल में जगह बनाई और बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर फाइनल्स के नॉकआउट में पहुंचने वाली पहली भारतीय पुरुष युगल जोड़ी बनकर साल का सकारात्मक अंत किया।
किदाम्बी श्रीकांत ने भी इस सत्र में वापसी के संकेत दिए। वह मलेशिया मास्टर्स और सैयद मोदी इंटरनेशनल में उपविजेता रहे, हालांकि खिताब जीतने में नाकाम रहे और उनका लंबा ट्रॉफी सूखा जारी रहा। महिला युगल में गायत्री गोपीचंद और त्रीसा जॉली ने सैयद मोदी इंटरनेशनल का खिताब बचाकर निरंतरता दिखाई।
2025 में भारतीय बैडमिंटन के लिए सबसे उत्साहजनक संकेत युवा खिलाड़ियों से मिले। 20 वर्षीय आयुष शेट्टी ने अमेरिका ओपन सुपर 300 जीतकर सबका ध्यान खींचा। उन्होंने कोदाई नाराओका, लोह कीन यू, चाउ टिएन चेन और ब्रायन यांग जैसे दिग्गज खिलाड़ियों को हराकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
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16 वर्षीय तन्वी शर्मा ने विश्व जूनियर चैंपियनशिप में लड़कियों के एकल में रजत पदक जीता। उन्होंने अमेरिका ओपन के फाइनल में जगह बनाई और सैयद मोदी इंटरनेशनल में पूर्व विश्व नंबर-1 नोजोमी ओकुहारा को हराकर साल की सबसे बड़ी जीत दर्ज की। तन्वी ने गुवाहाटी मास्टर्स में उपविजेता रहकर सत्र का समापन किया।
उन्नति हुडा ने विश्व जूनियर टीम चैंपियनशिप में भारत को कांस्य दिलाने में अहम भूमिका निभाई। ओडिशा मास्टर्स सुपर 100 जीतकर वह विश्व रैंकिंग में 23वें स्थान तक पहुंचीं। चीन मास्टर्स में पीवी सिंधू को हराना उनके करियर की बड़ी उपलब्धि रही। वहीं संस्कार सारस्वत ने गुवाहाटी मास्टर्स में अपना पहला सुपर 100 खिताब जीता।
हालांकि सीनियर खिलाड़ियों के लिए 2025 निराशाजनक साबित हुआ। दो बार की ओलंपिक पदक विजेता पीवी सिंधू क्वार्टर फाइनल तक तीन बार पहुंचीं, लेकिन छह बार पहले और चार बार दूसरे दौर में बाहर हो गईं। हैमस्ट्रिंग और पैर की चोट के कारण उन्हें अक्टूबर के बाद सभी बीडब्ल्यूएफ टूर्नामेंट से हटना पड़ा।
एचएस प्रणय के लिए भी यह साल बेहद कठिन रहा। इंडिया ओपन में टखने की चोट और कोरिया ओपन में पसली की मांसपेशियों की चोट ने उनके सत्र को प्रभावित किया। नतीजतन वह बार-बार शुरुआती दौर में बाहर होते रहे। टीम प्रतियोगिताओं में भी भारत का प्रदर्शन उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। एशिया मिश्रित टीम चैंपियनशिप और सुदीरमन कप में भारतीय टीम प्रभाव नहीं छोड़ सकी।






