मैरी कॉम (फोटो-सोशल मीडिया)
स्पोर्ट्स डेस्क: भारत को खेल में अलग पहचान दिलाने में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। भारतीय महिलाओं ने खेल के क्षेत्र में एक स्वर्णिम युग का निर्माण किया है। मुश्किल हालातों से लड़कर महिलाओं ने देश का नाम रोशन किया। कई महिलाओं को कुछ सुविधा ना होने के बाद भी हार नहीं मानी और आने वाले पीढी के लिए मिसाल बनी। ऐसे ही एक महिला है मैरी कॉम। मैरी कॉम ने भारत को बॉक्सिंग में एक नई पहचान दिलाई।
मैरी कॉम ने अपने खेल से आने वाली पीढ़ी के लिए एक सुनहरा कल तैयार किया है। आज आपको इंटरनेशनल वुमेंस डे से पहले यह बताएंगे कि कैसे मैरी कॉम ने मुसीबतों का सामना करते हुए कईयों के लिए प्रेरणाश्रोत बनी। मैरीकोम की सफलताओं से आज भारत ही पूरा विश्व भी वाकिफ है। मैरी कॉम ने बॉक्सिंग में कई राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय ख़िताब अपने नाम किए है। इन उपलब्धियों से मैरी कॉम ने भारतीय महिलाओं को एक अलग ही पहचान दी है।
मैरी कॉम ने 1998 के एशियन गेम्स में मणिपुर के डिंको सिंह की गोल्ड मेडल जीत से प्रेरित होकर उन्होंने बॉक्सिंग को अपना करियर बनाने का फैसला किया। अपने सपने को पूरा करने के लिए मैरी कॉम ने 15 साल की उम्र में घर छोड़कर इम्फाल स्पोर्ट्स अकादमी में ट्रेनिंग शुरू की। शुरुआत में मैरी ने अपने पिता मंगते टोनपा कॉम, जो खुद एक पहलवान थे, उनसे उन्होंने अपनी बॉक्सिंग ट्रेनिंग छुपाई। लेकिन जब 2000 में मैरी कॉम राज्य चैंपियन बनी तब उनके पिता को पता चला। उसके बाद तो मैरी कॉम ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। मैरी कॉम ने 6 बार वर्ल्ड चैंपियन बनी। वहीं बॉक्सिंग में ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली महिला भी बनी।
मैरी कॉम बॉक्सिंग ओलंपिक में पदक जीतने वाली एकमात्र महिला खिलाड़ी है। उनसे पहले और उनके बाद अभी तक कोई भी महिला खिलाड़ी बॉक्सिंग ओलंपिक में पदक नहीं जीत सकी है। मैरी कॉम ने साल 2012 में ओलंपिक पदक जीता था। यह मेडल लंदन ओलंपिक के दौरान आया था। उन्होंने महिला फ्लाइवेट वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता था।
उससे पहले साल 2001 में मैरी कॉम ने पहली बार वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और सिल्वर मेडल जीता। इसके बाद उन्होंने सात वर्ल्ड चैंपियनशिप मेडल और जीते, जिनमें से छह गोल्ड (2002, 2005, 2006, 2008, 2010, 2018) और एक ब्रॉन्ज 2019 रहे। साल 2002 में वर्ल्ड चैंपियनशिप का गोल्ड मेडल जीतकर मैरी कॉम ऐसा करने वाली पहली भारतीय बॉक्सर बनीं।
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साल | पुरस्कार / उपलब्धि |
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2001 | एआईबीए वर्ल्ड वुमन्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। |
2002 | एआईबीए वर्ल्ड वुमन्स सीनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। |
2003 | अर्जुन पुरस्कार प्राप्त किया। |
2003 | एशियन वुमन्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। |
2004 | ताईवान में एशियन वुमन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। |
2005 | एआईबीए वुमन्स वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। |
2006 | पद्म श्री से सम्मानित किया गया। |
2006 | एआईबीए वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। |
2008 | चीन में वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। |
2009 | राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार प्राप्त किया। |
2010 | एआईबीए वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। |
2010 | एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता। |
2012 | लंदन ओलम्पिक में कांस्य पदक जीता। |
2013 | पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। |
2014 | एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता। |
2017 | एशियाई महिला चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। |
2018 | कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड पदक जीता। |
2018 | AIBA महिला विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। |
2020 | पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। |
मैरी कॉम कई महिलाओं की प्रेरणा बनी। जो हालातों से लड़कर आगे निकल सकती है। इंटरनेशनल वुमेंस डे के अवसर पर मैरी कॉम जैसी कई महिला खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपने जिद्द और जुनून के आगे सभी को झुकने पर मजबूर कर दिया। उम्मीद है कि आपको मैरी कॉम की यह कहानी प्रेरणा देगी और जीवन में आप जो भी हासिल करना चाहें, उसके लिए मेहनत करते रहे। मेहनत एक दिन जरूर रंग लाती है।