भारतीय टीम टी20 वर्ल्ड कप के साथ (फोटो-सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: भारतीय टीम ने आज के ही दिन पिछले साल 29 जून को टी20 वर्ल्ड कप का खिताब जीता था। 2007 के बाद भारतीय टीम पहली बार टी20 का खिताब जीतने में सफल रही थी। भारत ने साउथ अफ्रीका को हराकर टी20 वर्ल्ड कप का दूसरा खिताब जीता था। आज इस बात को एक साल हो गए हैं।
रोहित शर्मा ने अपनी कप्तानी में भारत की टी20 विश्व कप जीत को याद करते हुए कहा कि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ फाइनल मैच से पहले वह बहुत घबराए हुए थे और पूरी रात सो नहीं पाए थे। इस मैच का दबाव ऐसा था कि उन्हें लगा कि उनका पैर सुन्न हो गया है। 2011 के बाद वर्ल्ड कप का खिताब 13 साल बाद जीता था।
रोहित ने ‘जियो हॉटस्टार’ से कहा कि 13 साल लंबा समय होता है। ज्यादातर लोगों का करियर भी 13 साल का नहीं होता। विश्व कप जीतने के लिए इतना लंबा इंतजार करना, मैंने अपना पिछला विश्व कप 2007 में जीता था। मेरे लिए यह इससे बड़ा और कुछ नहीं हो सकता था। मैं पूरी रात सो नहीं पाया। मैं सिर्फ विश्व कप के बारे में सोच रहा था। मैं घबराया हुआ था। मुझे अपने पैर महसूस नहीं हो रहे थे।
उन्होंने कहा कि क्या मैं दबाव में था? मैं इसे जाहिर नहीं होने देना चाहता था लेकिन अंदर से काफी ‘नर्वस’ था। हमें सुबह साढ़े आठ या नौ बजे स्टेडियम के लिए निकलना था। मैं सुबह सात बजे ही जग गया था। मैं अपने रूम से मैदान को देख सकता था। मुझे याद है कि मैं सोच रहा था, ‘दो घंटे बाद मैं मैदान पर रहूंगा और लगभग चार घंटे के बाद मैच का परिणाम लगभग तय हो जायेगा।
भारतीय कप्तान ने आखिरी ओवर में सूर्यकुमार यादव द्वारा डेविड मिलर के शानदार कैच को फाइनल का निर्णायक क्षण करार दिया। उन्होंने कहा कि सूर्यकुमार के कैच के बाद अंपायरों ने इस पर फैसले के लिए तीसरे अंपायर की मदद मांगी। इस समय सभी की धड़कनें तेज हो गई थीं। मैं उस समय लॉन्ग ऑफ पर सूर्यकुमार के ठीक सामने था और शुरुआत में मुझे लगा कि गेंद छह रन के लिए चली गयी है। सूर्यकुमार ने बाउंड्री के पास क्षेत्ररक्षण करते समय सजगता दिखाते हुए शानदार कैच लपका। इस कैच से भारत की सात रन से जीत सुनिश्चित हुई।
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जब हमने शुरुआत में तीन विकेट जल्दी गंवा दिए तो ड्रेसिंग रूम में जाहिर तौर पर बहुत घबराहट थी। मैं सहज नहीं था। मैं सोच रहा था कि हमने उन्हें मैच पर पकड़ बनाने का मौका दे दिया। मेरे दिमाग में हालांकि हमेशा यह बात थी कि हमारे निचले मध्य क्रम ने टूर्नामेंट में ज्यादा बल्लेबाजी नहीं की थी लेकिन जब भी उन्हें मौका मिला उन्होंने प्रभाव डाला। रोहित ने कहा कि बहुत से लोग (अक्षर की) पारी के बारे में बात नहीं कर रहे हैं, लेकिन वह पारी मैच का रुख तय करने के मामले में काफी अहम थी। उस समय 31 गेंदों पर 47 रन बनाना बहुत, बहुत महत्वपूर्ण था।